मेरठ के खौफनाक सौरभ हत्याकांड से बागेश्वर धाम के पीठाधेश्वर आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री भी चिंतिंत हैं। बुधवार को उन्होंने कहा कि नीला ड्रम पूरे देश में वायरल हो रहा है। इससे बहुत से पति सदमे में हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा है कि हमारी शादी नहीं हुई है। उन्होंने इस हत्याकांड की निंदा की। कहा, ऐसी घटनाएं पाश्चात्य संस्कृति का आगमन, पालन-पोषण और संस्कारों की कमी का परिणाम है।
मेरठ में श्री हनुमंत कथा के लिए आए धीरेंद्र शास्त्री ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि सौरभ हत्याकांड अत्यंत निंदनीय है। पाश्चात्य संस्कृति का आगमन इस सब का कारण है। वर्तमान समय में घटते हुए परिवार की व्यवस्था इसके लिए दोषी है। प्यार के चक्कर में परिवार को मिटाने की साजिश बेहद गंभीर मामला है। ऐसी घटनाएं तलाक की व्यवस्था का परिणाम हैं। जीवन में एक ही शादी होनी चाहिए। संस्कारवान परिवार बनाने के लिए रामचरितमानस का आधार लेना चाहिए। धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि भगवान की कृपा है कि उनकी शादी नहीं हुई है। जीवनकाल में किसी को एक ही शादी करनी चाहिए। जिस परिवार का बेटा या बेटी इस तरह का कृत्य कर रहा है तो उनके पालन-पोषण में कमी है। परिवार को हर हाल में संस्कारवान होना चाहिए।
गौरतलब है कि मेरठ का सनसनीखेज सौरभ हत्याकांड को उसकी पत्नी मुस्कान ने ही अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अंजाम दिया था। सौरभ को नशे की गोलियां देकर चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उसके शरीर के 15 टुकड़े कर नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में डालने के बाद सीमेंट का घोल भर दिया गया था। इतना ही नहीं, पति की इतनी नृशंस तरीके से हत्या करने के बाद पत्नी मुस्कान अपने प्रेमी साहिल के साथ हिमाचल घूमने चली गई थी।
बागेश्वर धाम सरकार ने इससे पहले मंगलवार को जागृति विहार एक्सटेंशन में आयोजित हनुमंत कथा में भी कहा था कि घर में हनुमंत कथा होगी तो घर कभी नहीं टूटेंगे। आज घरों के टूटने का कारण ज्यादा शिक्षित होना हो गया है। आज लोग ज्यादा शिक्षित हो गए हैं, संस्कार की कमी हो गई है। धार्मिक आयोजन कम और पाश्चात्य संस्कृति को लोग अपना रहे हैं, जिसके चलते लोगों के घर टूट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले लोग कम पढ़े लिखे थे पूरे कपड़े पहनते थे, आज लोग शिक्षित हो गए हैं तो उनके कपड़े भी कम हो गए हैं।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पहले दो कमरे का मकान होता था, उस घर में रहने वालों में प्यार होता था। एक साथ रहते थे, लोगों के दिल बड़े होते थे, मेहमान आ जाए तो उसे घर में कई दिन रोककर उसका आदर सत्कार करते थे, लेकिन आज मकान तो बड़े हो गए लेकिन लोगों के दिल छोटे हो गए। घर में रहने वालों को एक-दूसरे से कोई मतलब नहीं होता। घर बड़े हो गए हैं उसके बाद भी माता पिता वृद्धा आश्रम में रहते हैं। अमीर वह नहीं जिसके पास पैसा है, अमीर वह है जिसके दरवाजे पर उसके माता पिता, घर के बुजुर्ग हंसते हुए रहते हैं। अमीर वह है जिनके घर में बुजुर्ग हों और वह सुखी हों।
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