प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दावा किया है कि भारत ने देश के राजशाही समर्थक आंदोलन में भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने संसद में इसे उजागर करने की कसम खाई है। ओली ने यह टिप्पणी तीन दिन पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (UML) के केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक में की थी।इस बारे में ओली की पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी दी। बैठक में मौजूद यूएमएल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ़्तार करवाने की कसम खाई है। पार्टी सदस्य ने ओली के हवाले से यह भी कहा कि वह बुधवार को संसद में भारत को नेपाल के राजशाही समर्थक आंदोलन में उसकी भूमिका के लिए बेनकाब करेंगे।
इस बीच, पूर्व नरेश के खिलाफ तीन सबसे बड़े राजनीतिक दलों का संयुक्त मोर्चा बनाने के ओली के प्रयासों को उस समय झटका लगा, जब सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़े साझेदार नेपाली कांग्रेस ने रविवार को संविधान की रक्षा करने का फैसला किया, लेकिन सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी केंद्र के साथ मोर्चा बनाने से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि नेपाली कांग्रेस प्रमुख शेर बहादुर देउबा ऐसे मोर्चे के पक्ष में हैं लेकिन पार्टी की प्रदर्शन मूल्यांकन समिति ने रविवार को इस विचार को खारिज कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-माओवादी सेंटर के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने ओली को आश्वासन दिया है कि अगर पूर्व राजा की गिरफ्तारी होती है तो वे उनका समर्थन करेंगे।
‘नेपाल में राजशाही की वापसी असंभव’
इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली समेत नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा, सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ और अन्य नेताओं ने नेपाल में राजशाही की वापसी की संभावनाओं को खारिज करते हुए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह को गुमराह करने वाली हरकतों से बचने की चेतावनी दी थी।
प्रधानमंत्री ओली ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘अगर पूर्व राजा को लगता है कि वह लोकप्रिय हैं तो उन्हें संविधान का सम्मान करते हुए अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए।’ उन्होंने कहा था कि आजकल कुछ लोग राजशाही की वापसी के नारे लगा रहे हैं लेकिन यह संभव नहीं है।
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