ईद पर लोग गिले-शिकवे मिटाकर ईद मिलते हैं। ऐसा ही पिछले पन्द्रह दिन से चल रहे दो शहरकाजियों के विवाद में हो रहा था। आखिरकार ईद से पहले दोनों का ईद मिलन हुआ। गिले-शिकवे मिटे।
बीच का रास्ता निकला। कारी शफीकुर्हमान कासमी ने शहरकाजी जैनुस सालीकीन के सिर पर हाथ रखा। बड़ों का एहतराम हुआ। मुसलमान-ए-मेरठ को शहरकाजियों ने ईद का तोहफा दिया। सोमवार को शहर काजी डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी और कारी शफीकुर्रहमान कासमी के बीच समर्थकों की मौजूदगी में वार्ता हुई। बातचीत के बाद कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने शहर काजी डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी के सिर पर हाथ रख दिया और कहा कि वह मेरी औलाद की तरह हैं, मैं शहर एवं कौम की सलामती के लिए हर जगह, हर मौके पर साथ खड़ा होकर सरपरस्ती करूंगा। वहीं, डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी ने कहा कि कारी शफीकुर्रहमान कासमी मेरे बड़े और वालिद की जगह हैं, मैं उनकी सरपरस्ती में उलेमा ए किराम को साथ लेकर आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की हर मुमकिन कोशिश करुंगा।
सुलहनामा मुस्तफा कैंसल नवाब इस्माइल कोठी सदर बाज़ार में हुआ। शहर के उलेमा की दरखास्त और पूरी दुनिया-देश के हालात के मद्देनजर गौर एवं फिक्र के बाद आपसी इख़्तलाफ़ को दोनों शहर काजियों ने सुलह करते हुए दरकिनार कर दिया। मुसलमानों और शाही जामा मस्जिद को विवाद से बचाने के लिए सुलह और इत्तेफाक कर लिया। पहले दोनों के बीच अलग से लंबी वार्ता हुई और हालात पर चर्चा की। बाद में कारी शफीकुर्रहमान ने शहर काजी डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी के सिर पर हाथ रख दिया। हर तरह से साथ देने का फैसला किया। कारी शफीकुर्रहमान की दुआ पर मीटिंग खत्म हुई। इस दौरान अख़्तर कुरैशी, साबिर खान, डॉ. नबील सिराज, हाजी जावेद रशीद, बदर अली, हाजी सिराज, मंजूर सैफी, शकील भारती सैफी, मुईनुद्दीन, हाजी अंजुम जमाल, मईनुद्दीन, हाजी शिराज रहमान, कारी अफ़्फान, हाजी इसरार सैफी रहे।
यह हुआ तय
कारी शफीकुर्रहमानक कासमी जिस तरह से पिछले करीब 45 सालों से जामा मस्जिद और शाही ईदगाह में तकरीर करते और शबीना पढ़ाते आ रहे हैं, वह जारी रहेगा। ईद की नमाज एवं अन्य मसलों को वह दोनों आपस में मिल बैठकर तय कर लेंगे। अलविदा जुमे की नमाज और ईद उल फितर की नमाज कोई तीसरा आलिम ही अदा कराएंगे। हालांकि ईद की नमाज कौन अदा कराएंगे, यह ईदगाह कमेटी तय करेंगे। ईद की नमाज का समय भी अभी तय होना है।
मैने फिर दी कुर्बानी
अमनो-अमान, आपसी भाईचारे-सौहार्द्र और एकजुटता के लिए एक बार फिर 34 सालों बाद कुर्बानी दे दी। शहर काजी डॉ. जैनुस सालिकीन सिद्दीकी के सिर पर हाथ रख दिया। मैं इख़्तलाफ ख़त्म करता हूं। डॉ. सालिकीन मेरी औलाद की तरह हैं। मैं शहर, कौम की सलामती के लिए हर जगह हर मौके पर साथ खड़ा होकर उसकी सरपरस्ती करूंगा।
-कारी शफीकुर्रहमान कासमी
कारी शफीक मेरे बड़े और वालिद की जगह
कारी शफीकुर्रहमान कासमी मेरे बड़े और वालिद की जगह हैं। मैं उनकी सरपरस्ती में उलेमा-ए-किराम को साथ लेकर आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की हर मुमकिन कोशिश करूंगा। दीनी और समाज के मसलों को शरीयत के मुताबिक कुरआन-ए-पाक की रोशनी, उलेमाओं की रहनुमाई में मिली जिम्मेदारी को निभाऊंगा।
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