पुलिस कमिश्नरेट से अपराध पर संगठित अपराध और गैंगवार पर नकेल कसी जाएगी। वहीं, ट्रैफिक व्यवस्था में भी सुधार होगा। नोएडा, गाजियाबाद के बाद मेरठ में कमिश्नरेट बनाने की तैयारी तेज हो गई।
बताया जा रहा है कि जहां-जहां पर पुलिस कमिश्नरेट है, वहां पर आम जनता को लाभ मिल रहा है। थाना दिवस या समाधान दिवस के अलावा भी पुलिस अधिकारियों से फरियादियों को मिलना भी सुलभ हो रहा है।
योगी सरकार में पुलिस बदमाशों से सीधा मुकाबला कर रही है। मुठभेड़ में शातिर अपराधियों को ढेर कर समाज में उनका आतंक कम किया गया है। डकैती, लूट की घटनाओं में गिरावट आई है, लेकिन संगठित अपराध और गैंगवार की वारदात बढ़ी हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में हत्या और चोरी की घटनाएं अधिक हो रही हैं। इन पर पुलिस शिकंजा कसने का प्रयास तो किया है, लेकिन ज्यादा असर नहीं पड़ा। बदमाशों की कमर तोड़ने के लिए पुलिस कमिश्नरेट की जरूरत बढ़ रही है। पुलिस की ताकत जितनी ज्यादा होगी, अपराधों पर नियंत्रण उतना ही बेहतर होगा।
पहले चरण में लखनऊ और नोएडा व दूसरे चरण में वाराणसी, कानपुर में कमिश्नरेट लागू किया गया है। तीसरे चरण में आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद में यह प्रणाली लागू होने से अपराध पर शिकंजा कसने का पुलिस ने किया है। संभावना है कि अगले चरण में मेरठ और गोरखपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट लागू किया जा सकता है। जाम से छुटकारा मिलेगा और ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर हो जाएगी।
बता दें कि लखनऊ, नोएडा और कानपुर में अपराध का ग्राफ सबसे ज्यादा था। पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू होने से अपराध का ग्राफ घटा है। मेरठ में साइबर अपराधी अधिक सक्रिय हैं और पुलिस को खुली चुनौती दे रहे हैं। गत 20 जनवरी 2025 को शामली में मुठभेड़ में बदमाशों ने एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह का बलिदान हो गया था। उन्होंने बदमाशों से सीधा मुकाबला किया था। वहीं, आठ जनवरी को लिसाड़ीगेट थानाक्षेत्र के सुहेल गार्डन में मोईन, उनकी पत्नी आसमां और तीन मासूम बेटियों की हत्या हो गई थी।
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