मेरठ के केएमसी अस्पताल पर बुलंदशहर की एक महिला ने गंभीर आरोप लगया है. महिला ने आरोप लगया है कि 2017 में मेरठ के एक अस्पताल में उसके ऑपरेशन के दौरान छह डॉक्टरों ने उसकी किडनी बिना उसे बताए निकाल ली.मामलें में पुलिस ने मंगलवार को बताया कि स्थानीय अदालत के आदेश पर शुक्रवार को नारसेना पुलिस स्टेशन में इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी गई. बताना चाहेंगे कि इस मामले की सुनवाई उपभोक्ता अदालत में चल रही है.
2017 में करवाया था सर्जरी
पीड़ित महिला का नाम कविता देवी, 43 है. जो बुलंदशहर के बुग्रासी कस्बे की निवासी हैं. उसने केएमसी अस्पताल और इसके संबंधित डायग्नोस्टिक सेंटर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने डॉ. सुनील गुप्ता (अस्पताल के मालिक) के साथ-साथ डॉ. अजय एन. वात्स, डॉ. सत्यपाल अरोड़ा, डॉ. सीमा वर्शनी, डॉ. प्रतिभा गुप्ता और डॉ. निकिता जुग्गी का नाम लिया है. अपनी FIR में कविता ने बताया कि उसने मई 2017 में स्वास्थ्य समस्याओं के लिए केएमसी अस्पताल में इलाज करवाया था. डॉ. सुनील गुप्ता ने आंतरिक अंगों के लिए सर्जरी की सिफारिश की थी और यह आश्वासन दिया था कि इससे उनकी सेहत में सुधार होगा. "सर्जरी के बाद मुझे यह आश्वासन दिया गया कि मेरी किडनियां ठीक से काम कर रही हैं और मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया.
2022 में जांच में किडनी गायब होने का हुआ खुलासा
सर्जरी के कुछ दिन बात कविता की तबियत ठीक रही. लेकिन समय के साथ उनकी सेहत बिगड़ने लगी. 25 मई 2022 को एक अन्य डॉक्टर से परामर्श के दौरान एक अल्ट्रासाउंड में यह खुलासा हुआ कि उनकी एक किडनी गायब थी.
पीड़िता ने डॉक्टरों पर लगाया धमकी देने का आरोप
कविता ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने सुनील गुप्ता और उनके स्टाफ से इस मामले में शिकायत की तो उन्होंने उनके परिवार को धमकी दी और उनके मेडिकल रिकॉर्ड नष्ट कर दिए. "उन्होंने हमारे दस्तावेज़ मेरे सामने फाड़ दिए.
अस्पताल के डॉक्टरों ने आरोप को बतया बेबुनियाद
मामले में सुनील गुप्ता ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है. डॉक्टर सुनील गुप्ता ने कहा, इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. मुझे पिछले छह वर्षों से रंगदारी का सामना करना पड़ा है। जब पुलिस को विश्वास नहीं हुआ, तो कविता ने अदालत के जरिए FIR दर्ज करवाई. कविता के वकील, परितोष तेतिया ने पुष्टि की कि अदालत के आदेश पर एसीजेएम के खिलाफ केस दर्ज किया गया है
इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ FIR
कोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 120B (आपराधिक साजिश), 326 (खतरनाक हथियारों या साधनों से जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी) और मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 की धारा 18 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफा केस दर्ज हुआ है. थाना प्रभारी चंद्रगीराम सिंह ने मामले की जांच की पुष्टि की है.
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