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बुधवार, 15 जनवरी 2025

मेरठ के अस्पताल में निकाली महिला की किडनी, 7 साल बाद छह चिकित्सकों व एक अज्ञात कर्मचारी के खिलाफ केस दर्ज


  महिला मरीज ने मेरठ के केएमसी अस्पताल के चिकित्सकों पर किडनी निकालने का आरोप लगाते हुए कोर्ट के आदेश पर छह चिकित्सकों व एक अज्ञात कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।

बुलंदशहर निवासी 43 वर्षीय कविता ने बताया कि 2017 में इलाज के लिए मेरठ के बागपत रोड स्थित केएमसी इमेंजिग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर गईं। उन्हें 20 मई 2017 को अस्पताल में भर्ती कर उसी दिन आपरेशन कर दिया गया। 24 मई 2017 को पीड़िता को यह बताकर छुट्टी दी गई कि उसके दोनों गुर्दों का इलाज हो गया है। चिकित्सक की सलाह पर वह 2022 तक दवा खाती रहीं।

पीड़िता ने बताया कि तबीयत बिगड़ती ही गई। चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा तो वहां बताया गया कि बाईं किडनी निकाली जा चुकी है। पीड़िता ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पीड़िता के मुताबिक कोर्ट ने अस्पताल को नोटिस भेजा तो आरोपितों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी। 12 अप्रैल 2024 को एसएसपी से शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस ने दर्ज किया केस

आखिरकार पुलिस ने सोमवार को न्यायालय के आदेश पर डॉक्टर सुनील गुप्ता, डॉक्टर अजय एन वत्स, डॉक्टर सीमा वार्ष्णेय, डॉक्टर प्रतिभा गुप्ता, डॉक्टर निकिता जग्गी, डॉक्टर सतीश कुमार अरोरा निवासीगण मेरठ व एक अज्ञात कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। थानाध्यक्ष चंदगीराम ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

अस्पताल के निदेशक का है ये कहना

केएमसी अस्पताल के निदेशक डा. सुनील गुप्ता का कहना है कि 2023 में मरीज के वकील ने गुर्दा निकालने का नोटिस भेजा था। उसकी एवज में रकम की मांग की गई। इनकार करने के बाद डेढ़ साल से कंज्यूमर कोर्ट में मामला चल रहा है। फिर उक्त लोगों ने 12 लाख की मांग की। उनके खिलाफ हमारी तरफ से स्टेट फोरम में शिकायत की गई। तब मेरठ से केस गाजियाबाद स्थानांतरित कर दिया। 21 मार्च सुनवाई की तिथि लगी है। इसी बीच उन्होंने मुकदमा वापस लेने का दबाव बना धमकाने का आरोप लगाया। उसकी जांच पुलिस कर रही है।

इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा 

मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम-1994 की धारा 18 में पांच साल तक की सजा और दस हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रविधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में दो साल तक की सजा हो सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 326 हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने पर लगती है। इसमें आजीवन कारावास या 10 साल तक की जेल हो सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी आपराधिक साजिश रचने पर लगती है। इसमें दो साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रविधान है।

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