- भारत में प्रधानमंत्री के निधन पर होता है कितने दिनों का राष्ट्रीय शोक, इसमें क्या होता है | सच्चाईयाँ न्यूज़

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

भारत में प्रधानमंत्री के निधन पर होता है कितने दिनों का राष्ट्रीय शोक, इसमें क्या होता है


भारत में किसी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर आमतौर पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है. इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहता है. कोई सरकारी समारोह या उत्सव आयोजित नहीं किए जाते.पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर भी सात दिनों का राष्ट्रीय शोक सरकार द्वारा रात में घोषित किया गया. हालांकि, शोक अवधि का निर्णय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन 26 दिसंबर को एम्स में 92 साल की उम्र में हो गया.

गुजर चुके गणमान्य लोगों के लिए सात दिन का राष्ट्रीय शोक रखा जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद भारत सरकार ने भी सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी.

हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद अभी इस बारे में घोषणा होनी है. पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार राजकीय सम्‍मान के साथ किया जाता है. केंद्रीय और पीएसयू में आधे से एक दिन की छुट्टी हो जाती है. देश में और देश के बाहर भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधे झुक जाते है

सरकार सात दिन के शोक की घोषणा कब करती है?

आधिकारिक प्रोटोकॉल की बात करें तो सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा यूं तो राष्ट्रीय शोक केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु पर ही होती है. इससे पहले राजीव गांधी (1991), मोरारजी देसाई (1995) और चंद्रशेखर सिंह (2007) भी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री थे, जिनकी मृत्यु पद पर न रहते हुए हुई. इसके लिए सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था.

जवाहर लाल नेहरू (1964), लाल बहादुर शास्त्री (1966) और इंदिरा गांधी (1984) भारत के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनकी मौत पद पर रहने के दौरान हुई.

राष्ट्रीय शोक के दौरान क्या-क्या होता है?

भारत के फ्लैग कोड के अनुसार, "गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है." अटल बिहारी वाजपेयी के मामले में यह औपचारिक घोषणा की गई है, "22 अगस्‍त तक देश में और देश के बाहर भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधे झुके रहेंगे." राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने का प्रोटोकॉल नियमानुसार भी देश के बाहर भारत के दूतावासों और उच्चायोगों पर लागू होता है.l

राजकीय शोक में राजकीय अंत्येष्टि का आयोजन किया जाता है, गणमान्य व्यक्ति को बंदूकों की सलामी दी जाती है. साथ ही सार्वजनिक छुट्टी की भी घोषणा की जा सकती है और इसके अलावा जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे में लपेटा जाता है. पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था लेकिन हाल में बदले हुए नियमों के मुताबिक अब राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है और वे तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है और किसे नहीं.

क्या स्कूल और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे?

जैसा केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है राजकीय शवयात्रा के दौरान भी कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं. इसके अनुसार अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को राष्ट्रीय शोक के दौरान खत्म कर दिया गया है. केवल इसी हालत में छुट्टी की घोषणा होती है जब किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पद पर रहते हुए मौत हो जाती है. लेकिन अक्सर पद पर न रहने वाले गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद भी सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी जाती है क्योंकि इसका अंतिम अधिकार राष्ट्रपति (पढ़ें केंद्रीय मंत्रिमंडल) के ही हाथों में है. इसके अलावा राज्य भी छुट्टी की घोषणा करते रहते हैं.

प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों अलावा कई मुख्यमंत्रियों को भी राजकीय सम्मान दिया गया. जिनमें ज्योति बसु, जयललिता और एम. करुणानिधि भी हैं. इसके अलावा कई कलाकारों और प्रमुख हस्तियों को भी राजकीय सम्मान दिया जा चुका है. आजाद भारत में पहला राजकीय सम्मान और राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी के लिए आयोजित हुआ था.

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...