- 'प्रदर्शन करो लेकिन..', सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को दी बड़ी नसीहत..! | सच्चाईयाँ न्यूज़

सोमवार, 2 दिसंबर 2024

'प्रदर्शन करो लेकिन..', सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को दी बड़ी नसीहत..!


 सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से कहा कि किसानों को अपने प्रदर्शन शांतिपूर्ण और जिम्मेदारी से करने चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रदर्शनकारियों को हाईवे जाम करने या आम जनता को परेशान करने से बचना चाहिए।यह बात डल्लेवाल की ओर से दायर हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गई, जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें खनौरी बॉर्डर से जबरन हटाकर लुधियाना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि डल्लेवाल अब रिहा हो चुके हैं और दोबारा आंदोलन में शामिल हो गए हैं। 

इस बीच, दिल्ली की ओर बढ़ते किसानों ने नोएडा में महामाया फ्लाईओवर के पास यूपी पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को हटाकर आगे बढ़ने की कोशिश की। हालाँकि, पुलिस ने उन्हें दलित प्रेरणा स्थल के सामने रोक दिया। डल्लेवाल को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद खनौरी बॉर्डर पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता सरवन सिंह पंधेर ने डल्लेवाल का समर्थन करते हुए आंदोलन जारी रखने की बात कही।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन इसे जिम्मेदारी से करना जरूरी है ताकि जनता को असुविधा न हो। कोर्ट ने विशेष रूप से यह कहा कि खनौरी बॉर्डर, जिसे पंजाब की 'लाइफलाइन' कहा जाता है, बाधित नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि डल्लेवाल अपने साथियों को कानून के दायरे में रहते हुए प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेंगे।

यह आंदोलन 13 फरवरी 2024 को शुरू हुआ था, जिसमें किसान दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे। हालांकि, उन्हें शंभू और खनौरी बॉर्डर पर रोक दिया गया। प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार पर उनकी माँगों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। उनकी माँगें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन योजना शुरू करने, कर्ज माफ करने, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने, और 2020-21 के किसान आंदोलन में जान गँवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने से जुड़ी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि भविष्य में किसी कानूनी मदद की जरूरत होने पर प्रदर्शनकारी उचित प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से कानून के दायरे में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने की अपील की

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