आजमगढ़। आठ साल की उम्र में मुरादाबाद मेले से बिछड़ी रौनापार थाना क्षेत्र के वेदपुर गांव निवासी फूला देवी (फूलमती) मंगलवार को परिजनों से मिलीं तो खुशियों का ज्वार फूट पड़ा।भाई को देखते ही आंखों से खुशी के आंसू बह निकले तो अन्य परिजनों से गले लगीं तो फिर सभी लोग भाव विह्वल हो गए। आधी सदी के बाद इस तरह के मिलन को देख बरबस ही मौजूद हर लोगों की आंखे भर आईं।
यह है पूरा मामला
फूला देवी का दास्तान किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। अपनी मां श्यामादेई के साथ अपने ननिहाल चूंटीदार में ज्यादा रहती थीं। फूला देवी के मामा रामचन्दर के घर के आंगन में एक कुंआ है। यह बात फूला को नहीं भूला था। यह गांव अब मऊ जनपद में है।
मुरादाबाद रहकर नौकरी करने वाले अपने चचेरे मामा के यहां फूला अपनी मां के साथ घूमने गई थी। मां के ही साथ वहां मेले में गुम हो गईं। परिजनों ने बहुत खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। फूला के इंतजार में एक-एक दिन कर सालों बीत गए। अंतत: परिजनों भी मिलने की आस छोड़ दी।
उधर, मेले में गुम फूला को रोते देख एक व्यक्ति ने शरण दी। कुछ दिन बाद रुपये की लालच में उसने रामपुर जिले के भोंट थाना क्षेत्र के रायपुर गांव निवासी लालता प्रसाद गंगवार के हाथों उसे बेच दिया। इस दौरान लालता ने उससे शादी कर ली। लालता से एक पुत्र सोमपाल भी हैं।
हर दिन, हर पल आती रही याद अपनों की
इतने सालों के बाद भी फूला को कभी ऐसा नहीं हुआ जब घर की याद न आई हो। हार मानने के बजाय वह लोगों से परिवार की चर्चा इस आस में करती रहीं कि हो न हो कभी मिलना हो ही जाए।
इस दौरान रामपुर के प्राथमिक विद्यालय पजावा बिलासपुर में वह बतौर रसोइयां काम करने लगीं। एक दिन बात ही बात में उन्होंने अपनी कहानी वहां की प्रधानाध्यापक डाॅ. पूजा से शेयर कीं तो वह भी भावुक हो गईं।
डाॅ. पूजा ने किसी तरह से एएसपी सिटी शैलेंद्र लाल आजमगढ़ से संपर्क साधा और पूरा वाकया बताया। जिले की पुलिस ऑपरेशन मुस्कान के तहत इस काम में लगी।
चूंकि, फूला का ननिहाल अब मऊ जिले में है, इसलिए एएसपी सिटी को इस नाम का गांव जिले में मिला नहीं। उन्हें ख्याल आया कि तब आजमगढ़ का दायरा बड़ा था, लिहाजा मऊ में पता लगवाया तो गांव और उनके मामा के नाम का पता लग गया। वहां से फिर उनके गांव का भी पता चला। इसके बाद फूला के आने की व्यवस्था कराई गई।
पूजा और पुलिस के नेक कार्य की खूब सराहना
जिले की पुलिस खुद रामपुर जाकर फूला देवी को ट्रेन से आजमगढ़ ले आई। सोमवार की रात में उनके लिए होटल में कमरे की व्यवस्था कराई गई। मंगलवार को भाई लालधर सहित अन्य रिश्तेदारों को बुलाकर पुष्टि कर परिजनों से मिलाया तो यह क्षण देखने लायक था। डाॅ. पूजा और पुलिस के इस नेक कार्य से न सिर्फ लोगों चेहरे पर खुशियां बिखर पड़ीं बल्कि लोग उनकी नेक कार्य की सराहना करते नहीं थक रहे थे।
इतने साल में मुझे कभी ऐसा न हुआ जब परिवार की याद न आई हो, लेकिन लगता था कि कभी उनसे मिल नहीं पाऊंगी। आज लग रहा है कि दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हैं। डॉ. पूजा और यहां की पुलिस मेरे लिए ईश्वर से कम नहीं है।
-फूला देवी
तीन बहनों में मैं इकलौता भाई था। दो बहनें अब इस दुनिया में नहीं रहीं। फूला इस कदर मिली तो जैसे सारा जहां मिल गया है। इस खुशी को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता।
-लालधर, भाई
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