दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। शीर्ष अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को आदेशों का पालन न करने पर तलब किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इन राज्यों को इस मुद्दे की गंभीरता समझ में आएगी। इससे पहले, कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की। कोर्ट ने पाया कि रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी है, जिसमें यह कहा गया कि दिल्ली सरकार, एमसीडी, डीपीसीसी, सीएक्यूएम और अन्य प्राधिकरणों के बीच तालमेल की कमी है। इसके कारण वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने में रुकावटें आ रही हैं।
आदेश: 5 दिसंबर को सभी मुख्य सचिव हाजिर हों
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को आदेश दिया है कि वे 5 दिसंबर को शाम 3:30 बजे अदालत में हाजिर हों। इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि इन राज्यों को सीएक्यूएम द्वारा सुझाए गए उपायों को लागू करना सुनिश्चित करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित राज्यों को इस मामले में कार्रवाई में और तेजी लानी होगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत खाली हुए लेबरों को समय पर भुगतान करने का आदेश दिया था, जो राज्यों को लेबर सेस के रूप में देना था।
कोर्ट कमिश्नरों की सराहना
सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट को सराहा और उनके द्वारा किए गए काम की तारीफ की। अदालत ने कहा कि कमिश्नरों ने अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी जान जोखिम में डाली। इसके साथ ही, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि वह अदालत में की गई कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट दाखिल करे, और यह सुनिश्चित करे कि कोर्ट कमिश्नर सुरक्षित रहें। इस आदेश के बाद, अब सभी राज्यों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने में और ध्यान देने की जरूरत है, और कोर्ट की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
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