मेरठ स्टांप घोटाले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। डीएम के सामने व्यापारियों ने आरोप लगाया कि नामजद विशाल वर्मा सिर्फ मोहरा है, असली गुनहगार कोषागार और रजिस्ट्री कार्यालय में बैठे अधिकारी हैं।
फर्जी स्टांप की जांच करने वाले सब रजिस्ट्रार पर कार्रवाई हो। यह बड़ा गिरोह है और विशाल विदेश भागने की फिराक में है। उसकी संपत्ति और पासपोर्ट तुरंत जब्त कीजिए। डीएम ने कहा कि स्टांप पर जिसके हस्ताक्षर है, उनसे रिकवरी होगी। नामजद विशाल जेल जाएगा और स्टांप का वेरिफिकेशन करने वाले अधिकारी नपेंगे। सिविल लाइन थाने में मुकदमे पंजीकृत हैं, जिसमें सब लोग अपना-अपना प्रार्थना पत्र देंगे। शासन स्तर से एसआईटी गठित है। जांच रिपोर्ट के बाद बड़ी कार्रवाई होगी।
मेरठ व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष जीतू नागपाल और महानगर अध्यक्ष शैंकी वर्मा के नेतृत्व में 100 से अधिक व्यापारी शनिवार को कलक्ट्रेट सभागार में पहुंचे। डीएम के साथ व्यापारियों की बैठक हुई। जिसमें एडीएम वित्त सूर्य कांत त्रिपाठी, मुख्य कोषाधिकारी वरुण खरे, सहायक आयुक्त स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार मौजूद थे। डीएम कुछ बोलना शुरू करते कि व्यापारी मनीष अग्रवाल खड़े हुए और बोले कि रिकवरी नोटिस भेजना बंद कीजिए। 997 रजिस्ट्री में फर्जी स्टांप लगाए गए और रजिस्ट्री विभाग से उनका वेरिफिकेशन हुआ। जब सब रजिस्ट्रार को ही फर्जी स्टांप की जानकारी नहीं हुई तो आमजन को कैसे पता चलेगा। फर्जी स्टांप बिक्री करने वाले अधिवक्ता विशाल वर्मा पर कार्रवाई कीजिए और उसकी संपत्ति जब्त करके रिकवरी करें। विदेश भागने की फिराक में है। उसका तुरंत पासपोर्ट लिया जाए।
डीएम दीपक मीणा ने कहा कि स्वाभाविक बातों को छोड़ दीजिए, स्टांप पर हस्ताक्षर जिसके हैं, उससे से रिकवरी होगी। यह पैसा सरकार का है, इसकी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। पीड़ित लोग विशाल वर्मा पर एफआईआर लिख दीजिए। रिकवरी तो आपसे ही होगी, लेकिन हमारा कोई दबाव नहीं है। विशाल पर शिकंजा कसने के लिए एसएसपी से बात हो चुकी है। इस प्रकरण में जो अधिकारी शामिल है, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होना तय है। शासन स्तर से एसआईटी गठित है, ताकि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सके। डीएम की बात सुनकर व्यापारी बोले, रजिस्ट्री में फर्जी स्टांप और अब रिकवरी पर अर्थदंड लगाकर लोगों पर दोहरी मार हो रही है। ये बैठक करीब एक घंटा चली, जिसमें व्यापारी संतुष्ट नहीं हुए।
एडीएम के पेशकार पर कार्रवाई कीजिए
मेरठ व्यापार मंडल महानगर अध्यक्ष शैंकी वर्मा ने डीएम को लिखित में प्रार्थना पत्र दिया। एडीएम वित्त के पेशकार रणसिंह पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया। व्यापारियों ने बताया कि रिकवरी के पैसे के साथ पेशकार रिश्वत ले रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई कीजिए। व्यापारी बोले, रणसिंह पहले भी जेल जा चुके हैं, इसके बावजूद मलाईदार वाले पद पर बैठे हैं। स्टांप घोटाले के नोटिस भेजने से लेकर रिकवरी तक बड़ा खेल एडीएम ऑफिस से हो रहा है। इसको तुरंत बंद कराए। डीएम ने जांच कराने की बात कही है।
बैठक बेनतीजा रही, दोहरी मार कौन झेलेगा
डीएम की बैठक के बाद व्यापारी बोले कि बैठक बेनतीजा रही है। रिकवरी जमा करनी होगी, यह बात डीएम ने ही कही। आरोपी पर शिकंजा कसेंगे, लेकिन रिकवरी उससे क्यों नहीं होगी। इसका कोई जवाब नहीं मिला है। डीएम के सामने व्यापारियों ने कई प्रस्ताव रखे, जिनको नहीं माना गया। रजिस्ट्री में स्टांप लगाकर पैसा दिया, रिकवरी में अर्थदंड के साथ पैसा जमा करने की बात कही गई। दोहरी मार डाली जा रही। बैठक में शामिल अनस ठाकुर, उमाशंकर, कुशन गोयल, संजीव कुमार अग्रवाल, अश्वनी भारद्वाज, प्रवीन जैन, अतुल गुप्ता, राकेश सैनी, अरविंद्र सिंघल, सौरभ गुप्ता और अमित गुप्ता मौजूद रहे है।
जानबूझकर कराई फर्जी स्टांप से रजिस्ट्री
इस प्रकरण में भाजपा के एक नेता का नाम सामने आ रहा है। जिसने बागपत रोड पर अवैध कॉलोनी काटी है, जिसमें फर्जी स्टांप लगवाकर लोगों की रजिस्ट्री कराई है। भाजपा नेता को फर्जी स्टांप लगने की जानकारी पहले से थी। एक कॉलोनी में रजिस्ट्री में 30-30, 40-40 स्टांप लगा रखे है। भाजपा नेता के करीबियों की तीन फर्म पर मुकदमा पंजीकृत है। जिसके बाद भाजपा नेता ने पुलिस और प्रशासन अधिकारियों से खुद के बचाव के लिए चार महीने पहले सिफारिश भी की थी।
एफआईआर कराओ, 997 लोगों के नाम की सूची दीजिए
डीएम दीपक मीणा ने कहा कि एक एफआईआर दर्ज कराओ। जिसमें पीड़ित 997 लोगों के नाम की सूची दीजिए। जो लोग एफआईआर कराने नहीं पहुंच रहे या फिर खुद को बचा रहे है तो समझ लेना कि फर्जी स्टांप मामले में उनकी भूमिका भी संदिग्ध है। नियमानुसार रिकवरी के साथ अर्थदंड लगाया जाता है। रिकवरी देनी होगी और अर्थदंड के लिए लखनऊ में उच्चाधिकारियों से बात कर लूंगा।
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