सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आवास एवं विकास परिषद के सर्वे में शास्त्रीनगर में 6500 आवासीय भूखंडों में से 800 पर अवैध रूप से व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाने का खुलासा हुआ है। यहां मुख्य मार्ग ही नहीं, गली-गली और घर-घर में अवैध शोरूम, कॉम्पलेक्स, अस्पताल, डेयरी, हैंडलूम, सैलून, बेकरी, रेस्टोरेंट बना दिए गए।बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी और सर्वे रिपोर्ट दाखिल की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में 19 नवंबर को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति आर. महादेवन ने शास्त्रीनगर के दुकानदार राजेंद्र कुमार बड़जात्या व उप्र एवं आवास विकास परिषद के दस साल पुराने मामले में सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने आवास एवं विकास परिषद से एक सप्ताह में लिखित में अपना पक्ष दाखिल करने का आदेश दिया।
उप्र आवास एवं विकास परिषद से पूछा था कि 499 प्लॉटों का किस प्रकार प्रयोग हो रहा है। ये वर्तमान में किस स्थिति में हैं यानी इन भूखंडों पर किस तरह के भवनों का निर्माण किया गया है। आदेश के बाद से ही विभाग की ओर से टीमों का गठन कर शास्त्रीनगर में 6500 आवासीय भूखंडों का सर्वे किया था।
घरों में शटर लगाकर बनाईं दुकानें
अधिशासी अभियंता आफताब अहमद ने बताया कि सप्ताह भर में आवासीय संपत्तियों का मौका-मुआयना किया गया। 800 संपत्तियां ऐसी हैं, जो आवासीय हैं और उनमें व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। लोगों ने घर में शटर लगाकर दुकानें बना ली हैं। बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सर्वे रिपोर्ट दाखिल कर पक्ष रखा जाएगा।
सेक्टर-2 व 6 में सबसे ज्यादा दुकानें
सर्वे में सेक्टर-2 व छह में घरों में सबसे ज्यादा दुकानें मिली हैं। सेंट्रल मार्केट के अंतर्गत ही यह क्षेत्र आता है। इसके अलावा सेक्टर-3, 4, 5 व 7 में भी लोगों ने घरों में दुकानें बना ली हैं। इसके अलावा एल-ब्लॉक में मुख्य मार्ग पूरी तरह व्यावसायिक में परिवर्तित कर दिया गया है। कई ब्लॉक में तो कुछ लोग कोठियों में ही व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। वहीं सबसे कम सेक्टर-12 में महज दो ही आवासीय भवनों में व्यावसायिक प्रयोग होते टीम को मिला।
लगातार बन रहे शोरूम और कांपलेक्स
सेंट्रल मार्केट में सराफा, डेयरी, रेडीमेड गारमेंट्स, मर्चेंट स्टोर आदि लगातार बन रहे हैं। कई लोगों ने क्षेत्र में निचले तल पर शोरूम बना लिए हैं और ऊपरी तल पर घर बना लिए हैं। अफसरों से साठगांठ करके बड़े पैमाने पर गली-गली में दुकानें, शोरूम बन रहे हैं। व्यापारी इसके लिए अफसरों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से जहां अफसर सहमे हैं तो वहीं व्यापारियों में भी खलबली मची है।
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