उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक बड़े स्टांप घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें 997 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और रजिस्ट्री विभाग द्वारा नोटिस भेजे जा चुके हैं। इस घोटाले में लोगों ने स्टांप अधिवक्ता विशाल वर्मा से स्टांप खरीदे थे, जो इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है ।लोगों का कहना है कि वे खुद धोखे का शिकार हुए हैं और उन्होंने अधिवक्ता पर विश्वास करके स्टांप खरीदे थे, जिन्हें रजिस्ट्री विभाग के अफसरों ने उस समय मंजूर भी कर लिया था। लेकिन अब जांच होने पर सभी स्टांप गलत पाए गए हैं ।इस मामले में रजिस्ट्री विभाग स्टांप लेने वाले लोगों पर कार्रवाई कर रिकवरी करने में जुटा है, लेकिन विशाल वर्मा और रजिस्ट्री विभाग के साजिशकर्ता अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है ।
यह है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक बड़े स्टांप घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी अधिवक्ता विशाल वर्मा पर पीड़ितों ने मुकदमा दर्ज कराया है। ओम कुमारी, एक खेल उत्पादों की कारोबारी, ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी के दस्तावेज रजिस्टर्ड कराने के लिए विशाल वर्मा को लाखों रुपये दिए थे। मई 2024 में, उन्हें रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट से स्टांप चोरी का नोटिस मिला, जिसमें पता चला कि उनकी एक रजिस्ट्री में एक लाख का स्टांप फर्जी था ।विशाल वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने बीते एक दशक में हजारों रजिस्ट्री में फर्जी स्टांप का इस्तेमाल करके अकूत संपत्ति कमाई है। पिछले साल रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट में दो संदिग्ध स्टांप मिले थे, जो जांच में फर्जी पाए गए। इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया और बीते 3 साल की रजिस्ट्री में लगे स्टांप का वेरिफिकेशन हुआ, जिसमें पता चला कि 997 रजिस्ट्रियां फर्जी हैं जो विशाल वर्मा ने कराई हैं ।
मुकदमे दर्ज होने के बाद आरोपी फरार
मेरठ में एक बड़ा स्टांप घोटाला सामने आया है, जहां आरोपी अधिवक्ता विशाल वर्मा ने सभी स्टांप खरीदारों के नाम से खरीदे थे, जिसके कारण रजिस्ट्रेशन विभाग ने 997 खरीदारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं . इतने ही मुकदमे एआईजी स्टांप के कोर्ट में स्टांप चोरी के दायर किए गए हैं.अब धीरे-धीरे स्टांप की रिकवरी की जा रही है, लेकिन इसका भुगतान खरीददारों को ही उठाना पड़ रहा है. मुकदमे दर्ज होने के बाद आरोपी फरार हो गया है और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है ¹.
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