मेरठ में मोदी रबर के 1100 करोड़ रुपये की जमीन घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है. ये मामला जमीन के दाखिल-खारिज में किए गए खेल से जुड़ा है, जिसमें तत्कालीन एसडीएम सरधना और अपर नगरायुक्त कानपुर की गर्दन भी फंसती नजर आ रही है.इस मामले में नियम कायदे कानून ताक पर रख दिए गए और ये जमीन जर्मनी कंपनी को बेच दी गई. सब कुछ बड़े गुपचुप तरीके से किया गया था.
मामला मेरठ के मोदीपुरम की मैसर्स मोदी रबर लिमिटेड से जुड़ा हुआ है. साल 1972 में मोदीपुरम में 117 एकड जमीन गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत 30 साल के लिए मैसर्स मोदी रबर लिमिटेड को सौंपी गई थी. ये जमीन न तो मोदी रबर किसी को बेच सकता था और न ही हस्तांतरित कर सकता था. लेकिन, गुपचुप तरीके से ये 1100 करोड़ की जमीन जर्मनी कंपनी कॉन्टिनेंटल को बेच दी गई.
जमीन की दाखिल-खारिज में हुए खेल
2020 में सरधना के तत्कालीन एसडीएम अमित कुमार भारतीय ने इस जमीन का दाखिल-खारिज कॉन्टिनेंटल के नाम कर दिया था. अमित कुमार भारतीय यहां 2018 से 2021 तक एसडीएम सरधना रहे थे. फिलहाल वो कानपुर में अपर नगरायुक्त है. आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इसकी शिकायत कमिश्नर से की थी. मोदी रबर ने बड़े ही गुपचुप तरीके से पूरी डील की थी, लेकिन मामला बाहर आ गया.
आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इसकी शिकायत तत्कालीन कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह से करते हुए इसे अरबों का जमीन घोटाला बताया था. कमिश्नर ने तत्कालीन अपर आयुक्त चैत्रा वी, एमडीए वीसी रहे मृदुल चौधरी और एडीएम सदर संदीप भागिया से जांच कराई थी. जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई थी. इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसके बाद शासन ने भी इसका संज्ञान लिया था.
तत्कालीन एसडीएम को मिला नोटिस
इस मामले में तत्कालीन एसडीएम सरधना और मौजूदा अपर नगरायुक्त कानपुर अमित कुमार भारतीय को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए आरोप पत्र जारी किया गया है. शासन ने मामले की जांच के लिए कानपुर के मंडलायुक्त अमित कुमार गुप्ता को जांच अधिकारी बनाया गया है. अमित कुमार भारतीय को विभागीय पक्ष रखने के लिए तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं.
लीज के नियमों की किया गया उल्लंघन
इस मामले में मेरठ के डीएम दीपक मीणा से बात की गई तो उनका कहना है कि इस मामले में लीज की कंडीशन का उल्लंघन किया गया है. इसकी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी गई है. ये जमीन सीलिंग से निकली थी और इसका हस्तांतरण नहीं किया जा सकता था. इस मामले में तमाम तथ्य भी जुटाए जा रहें हैं और हर पहलू पर गंभीरता से नजर रखी जा रही है.
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