अबकी बार 400 पार। ये नारा पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की संसद से दिया था। लेकिन जनता ने 400 तो दूर 250 पार भी नहीं जाने दिया। और बीजेपी को सबसे बड़ा झटका लगा था यूपी में, क्योंकि बीजेपी की तरफ से यूपी की 80 सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा था।
वैसे सवाल सिर्फ योगी का नहीं हैं दूसरे राज्य जहां बीजेपी की सरकार है और चुनाव में उसे हार मिली हैं, वहां भी सीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस समय योगी को लेकर हो रही है। और इस चर्चा के पीछे सबसे बड़ा कारण यूपी बीजेपी में इस समय चल रही तकरार को भी माना जा रहा है। यूपी में पार्टी बिखरती दिख रही है।
इस सबके बीच एक सर्वे सामने आया है। जिसमें यूपी के सीएम की कुर्सी को लेकर लोगों से सवाल किए गए कि क्या योगी के खिलाफ बीजेपी हाईकमान एक्शन ले रहा है। आज इसी मुद्दे पर हम अपनी स्पेशल रिपोर्ट में करेंगे बात
यूपी बीजेपी में जबरदस्त टकराव चल रहा है। नेताओं के बीच तल्खियां सामने आ रही हैं। यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य डीजेपी और पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक करते हैं, जबकि गृह मंत्रालय सीएम योगी के पास है। केशव मौर्य बैठक का फोटो ट्वीट भी करते हैं। लेकिन सीएम योगी का कहीं नाम नहीं होता है डिप्टी सीएम सीएम और डिप्टी सीएम के बीच चल रही तल्खियों के बीच सीवोटर का सर्वे सामने आया है। और इस सर्वे में बीजेपी हाईकमान से लेकर योगी आदित्यनाथ सभी पर सवाल उठाए गए हैं।
यूपी में बीजेपी को मिली हार को लेकर लोगों से सवाल किए गए कि आखिर हार का जिम्मेदार कौन हैं। और जो जवाब मिले उसमें 22.2 प्रतिशत लोग ऐसा मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की वजह, गलत उम्मीदवारों को टिकट देना है। वैसे ये बात तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से ही यूपी बीजेपी के नेता खुलेआम कहने लगे थे कि गलत टिकट वितरण हार का सबसे बड़ा कारण था। हार के कारणों को लेकर जो सवाल किए गए उसमें हार का जो कारण बताया गया है उसमें
सी वोटर के अनुसार यूपी में बीजेपी की हार के लिए जिम्मेदार
अति आत्मविश्वास - 20.6 प्रतिशत
जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं - 14.4 प्रतिशत
गलत उम्मीदवार - 22.2 प्रतिशत
पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोषः 6.8 प्रतिशत
हिंदुत्व राग - 6.0 प्रतिशत
इसके बाद दूसरा सवाल था कि आखिर हार का जिम्मेदार कौन है। तो इसके जवाब में
राज्य के नेता - 28.3 प्रतिशत
केंद्रीय नेतृत्व - 21.9 प्रतिशत
पार्टी संगठन- 18.8 प्रतिशत
यानी जनता ने राज्य, केंद्र और पार्टी संगठन सभी को जिम्मेदार माना हैं। तो वहीं अगला सवाल था कि बीजेपी को यूपी में सबसे ज्यादा नुकसान इस चुनाव में किससे हुआ? जवाब में
संविधान बदलने का आरोपः 22.2 प्रतिशत
बेरोजगारी और महंगाई 49.3 प्रतिशत
नेताओं और संगठन में राज्य की कमीः 10.0 प्रतिशत
सरकार के प्रति नाराजगी 4.9 प्रतिशत
इस बार के चुनाव में बीजेपी अयोध्या सीट भी हार गई। जबकि यूपी में बीजेपी अयोध्या में बने राम मंदिर के नाम पर ही चुनाव जीतने की कोशिश में जुटी हुई थी.. ऐसे में सवाल पूछा क्या कि अयोध्या में हार की वजह क्या रही? जवाब में
ओबीसी-दलितों में नाराजगी- 28.1 प्रतिशत
अखिलेश का पीडीए- 24.1 प्रतिशत
स्थानीय स्तर पर नाराजगी- 25.6 प्रतिशत
सरकार के प्रति नाराजगी- 13.8 प्रतिशत
ऐसे में अब तक के सर्वे से ये सामने आया है कि बीजेपी उन मुद्दों पर हारी है जिन मुद्दों को विपक्ष ने जनता के बीच सुगमता से रखा उन्हें विश्वास दिलाया कि अगर उनकी सरकार आई तो वो उन सभी जमीनी मुद्दों पर काम करेगी जिन पर अभी तक 10 साल राज कर रही सरकार ने नहीं किया है। ऐसे में जब सी वोटर से पूछा गया कि क्या बीजेपी यूपी से सीएम योगी को हटाने की तैयारी में है तो सर्वे में 42 प्रतिशत लोगों ने हां कहा। जबकि 20.2 प्रतिशत ने नहीं। और 28.6 प्रतिशत ने कहा चर्चा हो रही है।
तो वहीं जब सी वोटर ने पूछा कि आखिर क्यों योगी को हटाने की तैयारी है, तो जवाब में 25.5 प्रतिशत लोगों ने माना पार्टी का एक तबका योगी से नाराज है। जबकि 8.0 प्रतिशत लोग मानते हैं गठबंधन सहयोगियों का बढ़ता दबाव। जबकि 11.6 प्रतिशत योगी को नहीं हटाने की बात कह रहे हैं।
सामने आये सर्वे में जहां ये बात निकलकर सामने आई है कि खराब रणनीति, चुनाव में सही मुद्दों पर ध्यान न देना ओबीसी वोटर्स के खिलाफ संविधान, आरक्षण खत्म करने जैसे नारों ने बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाया है और अब सीएम योगी के लिए यही ओबीसी वर्ग के नेता सीएम योगी के खिलाफ हो गये हैं और 36.8 प्रतिशत नेता सीएम योगी को हटाना चाहते हैं जबकि 25.3 प्रतिशत नहीं और 13.8 प्रतिशत नेताओं का मानना है सिर्फ बढ़ावा दे रहे हैं..जबकि 9.0 प्रतिशत का कहना है ऐसा कुछ नहीं हो रहा। सीएम योगी से ओबीसी की नारजगी अब किसी से छिपी नहीं है। सबसे पहले जहां एनडीए की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने सीएम योगी को पत्र लिखकर यूपी में भर्तियों में ओबीसी आरक्षण की बात की। अनुप्रिया ने जातिगत जनगणना कराने पर जोर दिया और ये बात भी कही कि आरक्षण के मुद्दे पर ध्यान न देने की वजह से भी यूपी में बीजेपी को हार का सामना करना पडा। और यही नेता नहीं बल्कि निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने तो ये तक कह दिया कि बिना ओबीसी के बीजेपी यूपी में जीत ही नहीं सकती। और इन्हें हवा देने का काम किया यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने। मौर्य ने भी सीएम योगी को पत्र लिख कर यूपी सरकार के नियुक्ति और कार्मिक विभागों में आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों की संख्या और उनमें आरक्षण का पालन किये जाने से जुड़ी जानकारी मांगी।
और ज्यादा दूर न जाए तो यूपी में चल रहे मानसून सत्र में योगी के तीन बिलों पर विधायकों ने मंजूरी न देकर योगी के खिलाफ बगावती सुर अपना लिए, तो वहीं योगी ने भी सदन में ये साफ कह दिया कि मैं किसी की नौकरी नहीं करने आया हूं। साफ है एक तरफ यूपी में बीजेपी और सहयोगी दलों ने योगी के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए हैं तो वहीं योगी भी अपने तेवर ठंडे करने को तैयार नहीं हैं।
वैसे यूपी में बीजेपी नेताओं और सीएम योगी के बीच तनातनी ने ये संकेत दे दिये हैं कि आने वाले समय में यूपी में बड़ा फेरबदल होने वाला है, लेकिन अगर बात सी वोटर्स की करें तो इसमें एक बात तो साफ नजर आ रही है कि पीएम मोदी के दिये गये बयान संविधान को बदल देंगे, मछली, मंगलसूत्र छीन लेंगे, आरक्षण को खत्म कर देंगे और बिना चर्चा के ऐसे उम्मीदवारों को खड़ा कर देना जिनका कभी नाम उम्मीदवारी की रेस में न रहा हो। और लोकसभा चुनाव में आये परिणामों में विफलता का ठीकरा केवल सीएम योगी पर फोड़ देना कहां तक सही है। क्यों कि ये सारे बयान तो पीएम मोदी ने दिए थे और ये चुनाव लोकसभा के लिए थे न की विधानसभा के।
तो हार की जिम्मेदारी सीएम योगी पर फोड़ना अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े करता है कि अगर चुनाव जीतते हैं तो मोदी के चेहरे की बदौलत और अगर हारते हैं तो उसका जिम्मेदार कोई और होगा। आपको क्या लगता है कि यूपी की हार का आखिर कौन है जिम्मेदार सीएम योगी या पीएम मोदी ?
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