हरियाणा में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के खिलाफ एक मामले में ईडी ने एक्शन लिया है. ईडी ने एक कंपनी के खिलाफ एक्शन लेते हुई इसकी 300 करोड़ की जमीन अटैच की है.
जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से गुरुग्राम में एम3एम बिल्डर तथा सहयोगी कंपनी आरएस इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर शिकंजा कसते हुए करीब 300 करोड़ रुपये की 88.29 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है. यह जमीन हरियाणा के गुरुग्राम जिले के हरसरू तहसील के बांस हरिया गांव में स्थित है. ईडी की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई की गई है.
आरोप है कि M3M बिल्डर ने ये जमीन भूपिंदर सिंह हुड्डा के राज में ली थी. इस पूरे मामले में आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने किसानों को ज़मीन अधिग्रहण के नाम पर नोटिस भेजे, जिससे किसान डर गए और बिल्डरों को सस्ते में ज़मीन बेच दी. बाद में इसी ज़मीन पर सरकार ने बिल्डरों को लाइसेंस दे दिया और रातों रात ये ज़मीन कई सौ करोड़ की हो गई. प्रदेश में भाजपा सरकार आपने पर इस पूरे मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश हुई और बाद में ईडी की भी एंट्री हो गई. अब इसी मामले में ईडी ने कार्रवाई की है.
विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच
ईडी ने यह जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. इस एफआईआर में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के तत्कालीन निदेशक निदेशक त्रिलोक चंद गुप्ता, आरएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (आरएसआइपीएल) और 14 अन्य कालोनाइजर कंपनियों का नाम शामिल है.
आरोपियों ने धोखाधड़ी से लाभ उठाया
यह मामला किसान, आम जनता और हरियाणा राज्य और शहरी विकास प्राधिकरण को धोखा देने से जुड़ा है. आरोपियों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 और 6 के तहत अधिसूचना जारी करवाई और इस कारण किसान डर गए. बाद में भूमि कालोनाइजर कंपनियों ने बाजार मूल्य से कम दर पर किसानों को जमीन बेचने के लिए मजबूर किया. इसके बाद आरोपियों ने अधिसूचित भूमि पर लाइसेंस प्राप्त कर धोखाधड़ी से लाभ उठाया.
किसानों को डर दिखाकर जमीन खरीदी
ईडी की जांच में पाया गया कि आरएसआइपीएल के प्रमोटर बसंत बंसल और रूप बंसल ने एफआइआर में नामित व्यक्तियों के साथ मिलकर 10.35 एकड़ भूमि पर व्यावसायिक कालोनी स्थापित करने के लिए अवैध रूप से लाइसेंस प्राप्त किए. लाइसेंस प्राप्त करने के बाद उन्होंने व्यावसायिक कालोनी का विकास नहीं किया और बाद में 726 करोड़ रुपये की भारी कीमत पर लाइसेंस धारी भूमि और कंपनी की संपत्तियों को रेलीगेयर ग्रुप की सहयोगी इकाई लोवे रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया. हालांकि कंपनी का दावा है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया ही और एम3एम कानून का पालन करने वाली कंपनी है.
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