फ़ातिमा पेमेन ने सीनेट में जब अपनी सरकार के ख़िलाफ़ जाकर वोट किया, तो वो जानती थीं कि उन्हें इसका नतीजा भुगतना होगा.
ऑस्ट्रेलियन लेबर पार्टी ऐसे मामलों में कड़ा रुख़ अपनाती है और अवज्ञा करने वाले सदस्य को निष्कासित भी कर सकती है.
पार्टी अपने 130 साल के इतिहास में एक बार ऐसी नज़ीर पेश भी कर चुकी है.
ऑस्ट्रेलियन लेबर पार्टी ने ऐसे ही एक मामले में अपने सदस्य के ख़िलाफ़ तब कार्रवाई की थी, जब फ़ातिमा पेमेन का जन्म भी नहीं हुआ था.
लेकिन बीते मंगलवार 29 वर्षीय फ़ातिमा ने अपनी पार्टी के ख़िलाफ़ जाकर, ग्रीन पार्टी और निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर फ़लस्तीन को राज्य का दर्जा देने वाले प्रस्ताव का समर्थन किया.

ऑस्ट्रेलिया की सरकार आधिकारिक तौर पर, दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन करती है. लेकिन उसने फ़लस्तीन को राज्य का दर्जा देने वाले प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया.
सरकार ने इस शर्त को शामिल करने की नाकाम कोशिश की, जिसमें कहा गया था कि कोई भी मान्यता "शांति प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए."
इसके बाद कुछ ही घंटों के भीतर फ़ातिमा पेमेन को उनके पार्टी रूम से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया.
फिर हफ्ते के आख़िर में उनका निलंबन अनिश्चितकाल तक बढ़ा दिया गया. ऐसा तब किया गया, जब फ़ातिमा ने खुलकर ये कहा कि मौका मिलने पर सदन में वे दोबारा ऐसा करेंगी.
वहीं प्रधानमंत्री और लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बानीज़ ने बस इतना कहा, "कोई व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं है."
'हर कदम एक मील लंबा लगा'

इसके बाद सोमवार को फ़ातिमा पेमेन ने जबाव देते हुए कहा कि उन्हें 'निर्वासित' कर दिया गया है. फ़ातिमा ने कहा कि उन्हें बैठकों और तमाम समितियों की ग्रुप चैट से हटा दिया गया है.
ऑस्ट्रेलिया की संसद को अब तक की सबसे अधिक विविधता वाली संसद कहा गया है. एक सीनेटर को इस तरह पद से हटाए जाने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं.
साथ ही सवाल उठे हैं कि क्या किसी नेता के लिए अपने समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर लीक पर चलना क्या व्यावहारिक और सही है.
फ़ातिमा पेमेन ऑस्ट्रेलिया की संसद में हिजाब पहनने वाली एकमात्र संघीय नेता हैं.
सीनेट में अपनी पार्टी के ख़िलाफ़ जाने को उन्होंने अपने राजनीतिक करियर का सबसे मुश्किल फ़ैसला बताया. फ़ातिमा ने कहा कि उन्हें अपना 'हर एक कदम एक मील जैसा' लग रहा था.
फ़ातिमा का कहना है कि उन्होंने जो किया, उस पर उन्हें गर्व है. उन्होंने कहा, "मैंने अपने मुसलमान भाई-बहनों का पक्ष लिया, जिन्होंने मुझसे कहा कि लंबे समय से किसी ने उनकी बात नहीं सुनी."
इसराइली फ़ौज, ग़ज़ा में हमास को तबाह करने के इरादे से कार्रवाई कर रही है.
हमास ने पिछले साल सात अक्तूबर को दक्षिणी इसराइल में अप्रत्याशित हमला किया था, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बना लिया था.
हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि उसके बाद इसराइली फौज के हमलों में ग़ज़ा में 37,900 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
ऑस्ट्रेलिया में तभी से ये एक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है, जिसमें सभी पक्ष एहतियात बरत रहे हैं.
इस मुद्दे पर दुनिया के कई देशों में यहूदी और मुस्लिम समुदाय के विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं.
सराहना और आलोचना

सीनेटर फ़ातिमा के कदम की सराहना और आलोचना भी हो रही है.
ऑस्ट्रेलिया की संसद में साल 2016 में चुनकर आई पहली मुस्लिम महिला सांसद ऐन एली ने फ़ातिमा के तरीके से असहमति जताई है.
एबीसी न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं इस तरह करती जिससे ज़मीन पर फ़र्क नज़र आता. फ़ातिमा ने अपने तरीके से किया."
लेकिन मेलबर्न से लेबर पार्टी के यहूदी सांसद जोश बर्न्स ने कहा, "सांसद अलग-अलग समुदायों और पृष्ठभूमि से आते हैं. इन सब नज़रियों को संतुलिन करना इतना आसान नहीं है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई समुदाय के लिए हमें एक उदाहरण होना चाहिए कि मुश्किल मुद्दों पर सम्मानजनक तरीके से बहस किस तरह करें."
ऑस्ट्रेलिया की इस्लामिक संस्थाओं ने भी एक संयुक्त बयान जारी करके फ़ातिमा के कदम को 'साहसिक' बताया और लेबर पार्टी से कहा कि उसे उन लोगों की बात समझना चाहिए, जिनका वो प्रतिनिधित्व करती है.
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