जम्मू कश्मीर के कठुआ में रविवार को हुए आतंकी हमले की जांच में नए खुलासे हुए हैं. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कठुआ हमले के दौरान आतंकियों ने बॉडीकैम पहने हुए थे. इन आतंकियों की योजना सुरक्षाबलों के हथियार छीनने की भी थी, जो सफल नहीं हो पाई.
सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में 20 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. जांच में पता चला है कि आतंकियों ने गांव में घुसकर कई ग्रामीणों को बंदूक की नोक पर खाना बनाने को मजबूर किया था.
जांच में पता चला है कि हमले में घायल होने के बावजूद जवानों ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया.
सूत्रों का कहना है कि आतंकी अब पूरे प्लान के तहत ऐसे इलाकों में हमला कर रहे हैं, जो सैन्य प्रतिष्ठानों से दूर हैं और जहां सड़क कनेक्टिविटी सही नहीं है. इसके पीछे की वजह यही है कि हमले की स्थिति में सुरक्षाबलों को अतिरिक्त सैन्य मदद पहुंचाने में सामान्य से देर लगेगी.
ट्रक ने किया था सेना के काफिले को ओवरटेक
जांच में पता चला है कि हमले से ठीक पहले पहाड़ी पर एक ट्रक ने सेना के काफिले की गाड़ियों को ओवरटेक किया था. जैसे ही सेना के वाहन स्लो हुए तो आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी और हमले में 5 जवान शहीद हो गए. 5 अन्य घायल हो गए.
अधिकारियों के अनुसार, माचेडी-किंडली-मल्हार पहाड़ी सड़क पर सेना के वाहनों के पीछे एक ट्रक चल रहा था. लेकिन, लोहाई मल्हार में बदनोटा गांव के पास जब आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर दो अलग-अलग दिशाओं से गोलीबारी शुरू की तो यह ट्रक स्लो हो गया.
ट्रक चालक पर संदेह जताया जा रहा है. अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इस ट्रक ड्राइवर ने पुलिया पर ओवरटेक मांगकर जानबूझकर सैन्य काफिले को निकलने में देरी करवाई है? माना जा रहा है कि ट्रक चालक ने जानबूझकर पुलिया पर पास (ओवरटेक) मांगा था.
एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, आमतौर पर इन क्षेत्रों में सेना के वाहनों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन ट्रक ने फिर भी पास मांगा, जिससे दोनों वाहनों की स्पीड धीमी हो गई.
कैसे हुआ था कठुआ हमला?
जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में सात जुलाई को सुरक्षाबल कठुआ के बडनोटा में तलाशी अभियान चला रहे थे. तभी आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया. आंतकियों ने पहले सेना के वाहनों पर ग्रेनेड फेंके और फिर फायरिंग की. यहां पहले हुए हमलों की तरह ड्राइवर को भी निशाना बनाया गया.
इलाके में रेकी के लिए स्थानीय गाइड ने आतंकियों की मदद की थी. इन गाइडों ने आतंकियों को खाना भी मुहैया कराया था और उन्हें पनाह दी थी. हमले को अंजाम देने के बाद इन स्थानीय गाइड ने आतंकियों को छिपने में भी मदद की थी.
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