- क्‍या आप भी हर महीने क्रेडिट कार्ड को पूरा 'निचोड़' देते हैं? सुधार लें ये आदत | सच्चाईयाँ न्यूज़

शनिवार, 20 जुलाई 2024

क्‍या आप भी हर महीने क्रेडिट कार्ड को पूरा 'निचोड़' देते हैं? सुधार लें ये आदत



आजकल क्रेडिट कार्ड (credit card) शॉपिंग के लिए पैमेंट करने का एक लोकप्रिय माध्‍यम है. लंबे समय तक ब्‍याज रहित पैसा मिल जाने के कारण बहुत से लोग क्रेडिट कार्ड से दिल खोलकर खरीददारी करते हैं.

कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं, जो हर महीने क्रेडिट कार्ड की लिमिट (credit card Limit) को ही पार कर जाते हैं. अगर आप भी क्रेडिट कार्ड को पूरा निचोड़ने वाले लोगों में शामिल हैं, तो संभल जाएं. आपकी यह आदत न केवल आपके क्रेडिट स्‍कोर की लंका लगा देगी, बल्कि आपकी क्रेडिट कार्ड लिमिट को भी घटा सकती है.

क्रेडिट लिमिट वह सीमा है जिसके बराबर क्रेडिट कार्ड होल्डर अपने कार्ड से अधिकतम खर्च कर सकता है. क्रेडिट लिमिट तय करने का कोई सर्वमान्‍य तरीका नहीं है. बैंक को लिमिट तय करने का अधिकार होता है. इसके लिए अलग-अलग बैंक भिन्‍न-भिन्‍न कसौटियों को अपनाते हैं. हर व्‍यक्ति की आमदनी और क्रेडिट स्‍कोर के हिसाब से यह सीमा बैंक आमतौर पर निर्धारित करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि बार-बार क्रेडिट कार्ड की लिमिट का पूरा उपयोग करने के क्‍या नुकसान हैं.

बिगड़ सकता है क्रेडिट स्‍कोर
क्रेडिट लिमिट का पूरा उपयोग होने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ जाती है. इससे क्रेडिट कार्ड होल्‍डर का क्रेडिट स्कोर (credit score) खराब हो सकता है. इससे आपको भविष्‍य में लोन लेने में दिक्‍कत हो सकती है. क्रेडिट स्कोरिंग एजेंसियां क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो (Credit Utilization Ratio) निर्धारित करती हैं.

घट सकती है क्रेडिट लिमिट
अगर कोई क्रेडिट कार्डहोल्‍डर बार-बार क्रेडिट बैलेंस जीरो कर देता है तो, ऐसे कस्‍टमर की क्रेडिट लिमिट बैंक कम भी कर देते हैं. वो इसलिए ऐसा करते है क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि आगे चलकर यह कस्‍टमर डिफॉल्‍ट भी कर सकता है. अगर क्रेडिट लिमिट घट जाती है तो क्रेडिट स्‍कोर अपने आप ही कम हो जाता है. क्रेडिट स्कोर को जीरो पर ज्यादा दिनों तक नहीं रखना चाहिए. अगर कोई कस्‍टमर लंबे समय तक ऐसा करता है तो बैंक के पास उसका कार्ड इनएक्टिवेट करने का अधिकार होता है.

इमेज पर नकारात्‍मक असर
अगर कोई कार्डहोल्‍डर लगातार अपनी क्रेडिट कार्ड बैलेंस जीरो करता है तो इससे कार्डहोल्‍डर की वित्‍तीय इमेज पर नकारात्‍मक असर पड़ता है. इससे बैंक और क्रेडिट स्‍कोर एजेंसियां यह धारणा बना लेती है कि कार्ड होल्डर बहुत ज्यादा खर्चीला है और उसे खर्च का प्रबंधन करना नहीं आता.

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