अलग-अलग कारणों से बदल रहे मौसम और अचानक होने वाली बारिश के बावजूद जून, 2024 में सामान्य से कम बारिश हुई है। मौसम विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक जून में 11 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
मानसून की समय से पहले दस्तक के बावजूद बारिश के अनुकूल हालात नहीं
मौसम विभाग के मुताबिक महाराष्ट्र तक मानसून सामान्य रूप से आगे बढ़ा, लेकिन इसके बाद बारिश के अनुकूल हालात नहीं बने। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कमजोर मानसून के कारण बारिश का इंतजार बढ़ गया। इस कारण उत्तर पश्चिम भारत में भीषण गर्मी का असर और अधिक बढ़ गया।
केवल दक्षिण भारत में 14 फीसदी अतिरिक्त बारिश
मौसम विभाग प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा, देश में 11 जून से 27 जून तक सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई। इसके कारण कुल मिलाकर सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई। IMD के मुताबिक उत्तर पश्चिम भारत में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई, जबकि मध्य भारत में 14 फीसदी की गिरावट देखी गई। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 13 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। केवल दक्षिण भारत में ही 14 फीसदी अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई।
इस कारण कुल मिलाकर सामान्य से कम बरसात
आईएमडी ने बताया कि देश में चार महीनों के मानसून सीजन के दौरान कुल 87 सेंटीमीटर बारिश हुई है। इसमें 15 फीसदी बरसात जून के महीने में हुई है। 30 मई को केरल औऱ पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्रों में मानसून ने समय से पहले दस्तक दी थी। इस आधार पर अनुमान था कि बारिश अच्छी होगी। हालांकि, आंकड़े सामने आने के बाद 11 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। मौसम विभाग प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा, देश में 11 जून से 27 जून तक सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई। इसके कारण कुल मिलाकर सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई।
पिछले 20 साल में जुलाई में अच्छी बारिश हुई
IMD के मुताबिक उत्तर पश्चिम भारत में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई, जबकि मध्य भारत में 14 फीसदी की गिरावट देखी गई। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 13 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। केवल दक्षिण भारत में ही 14 फीसदी अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने बताया कि देश के 12 फीसदी उपमंडल क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश देखी गई। 38 फीसदी इलाकों में सामान्य बारिश दर्ज की गई। 50 फीसदी इलाकों में अल्प वर्षा हुई। IMD के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 25 वर्षों में से 20 साल ऐसे रहे जब जून में वर्षा सामान्य से कम (लंबी अवधि की औसत (LPA) से 92 फीसदी कम) रिकॉर्ड की गई। इसी औसत के आधार पर बीते 25 में 20 साल की अवधि में जुलाई में बरसात सामान्य या सामान्य से अधिक रही।
बीते 25 में 17 साल जून में सामान्य से कम बारिश हुई
IMD के आंकड़ों के मुताबिक LPA से इतर सामान्य रूप से देखने पर बीते 25 में 17 साल ऐसे रहे जब जून में सामान्य से कम बारिश हुई। हालांकि, इन 17 वर्षों में मौसमी बारिश सामान्य या सामान्य से अधिक रिकॉर्ड की गई। यह जानना भी रोचक है कि बीते एक महीने के दौरान बारिश में कमी आने की खबरों के साथ ही देश के कुछ राज्यों में अचानक मौसम बदलने और बादल फटने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अति वृष्टि, अनावृष्टि और अल्पवृष्टि जैसे हालात पैदा हो रहे हैं।
पिछले हफ्ते दिल्ली में भारी बारिश बादल फटने का नतीजा नहीं
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह भी साफ किया है कि पिछले हफ्ते दिल्ली में हुई भारी बारिश बादल फटने का नतीजा नहीं थी। आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला के हवाले से यह दावा किया। उन्होंने कहा कि 28 जून को सुबह 5 से 6 बजे के बीच 91 मिलीमीटर (मिमी) बारिश दर्ज की गई। इसी दिन सुबह 8.30 बजे से पहले के 24 घंटों में 228.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसी तरह, लोधी रोड मौसम केंद्र ने सुबह 5 बजे से 6 बजे तक 64 मिमी और सुबह 6 बजे से 7 बजे तक 89 मिमी बारिश दर्ज की। इन घटनाओं को बादल फटने की घटना नहीं कहा जा सकता। हालांकि, मंजर बादल फटने जैसे ही थे।
28 जून की सुबह तेज आंधी और भारी बारिश
बता दें कि ऐसे मौसम के पीछे कारण को लेकर आईएमडी पहले भी कह चुका है कि बड़े पैमाने पर मानसून की मौसम प्रणालियों में बदलाव हुए। इस कारण दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ऐसे हालात पैदा हुए, जिससे 28 जून की सुबह तेज आंधी चली और भारी बारिश भी हुई।
88 साल का रिकॉर्ड टूटा
दिल्ली में जून में औसत वर्षा 74.1 मिमी होती रही है। हालांकि, इस बार 28 जून को तीन गुना अधिक बरसात हुई। दिल्ली-एनसीआर में एक ही दिन में करीब 228 मिमी बारिश से 88 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया और 1936 के बाद जून में पहली बार इतनी बारिश हुई। आईएमडी के अनुसार, एक दिन में 124.5 से 244.4 मिमी के बीच होने वाली वर्षा को 'बहुत भारी वर्षा' की श्रेणी में गिना जाता है।
उत्तर-पश्चिम भारत में जून में रिकॉर्ड गर्मी
उत्तर-पश्चिम भारत में वर्ष 1901 के बाद से जून, 2024 का महीना अब तक का सर्वाधिक गर्म रहा। मौसम विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को बताया कि जून महीने में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उत्तर-पश्चिम भारत में जून के महीने का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक 38.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
आईएमडी के अनुसार औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक 25.44 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस वर्ष 1901 के बाद से सबसे अधिक है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में जून के महीने में 33 प्रतिशत कम बारिश हुई। इसका कारण देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मानसून का धीमी गति से आगे बढ़ना रहा। उन्होंने बताया, जून के अंत में सिर्फ एक कम दबाव वाला क्षेत्र बना। आम तौर पर महीने में तीन कम दबाव वाले क्षेत्र बनते हैं। मौसम परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने के कारण कम दबाव वाले क्षेत्र नहीं बन सके।
जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश में जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है। पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है जो लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है। उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। पश्चिमी तट को छोड़कर उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। मध्य भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और पश्चिमी तट पर सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है।उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों और मध्य भारत के आस-पास के इलाकों और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान है। जुलाई में मानसून के दौरान अच्छी बारिश की उम्मीद है।
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