Rahul Gandhi LoP: जिस तरह से 2014 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था, उसके बाद कांग्रेस पार्टी 50 से भी कम सीटों पर सिमट गई थी, जिसकी वजह से लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं बन सका।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी विपक्ष के नेता का पद संभालेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में इंडिया गठबंधन के नेताओं की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। गौर करने वाली बात है कि 1980, 1989, 2014, 2019 में यह पद खाली रहा है।
गांधी परिवार से तीसरा नेता प्रतिपक्ष
गौर करने वाली बात है कि ऐसा तीसरी बार है जब गांधी परिवार की ओर से कोई नेता प्रतिपक्ष बनने जा रहा है। सबसे पहले राजीव गांधी सदन में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। वह 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 के बीच नेता प्रतिपक्ष थे। जबकि सोनिया गाधी 13 अक्तूबर 1999 से 6 फरवरी 2004 के बीच नेता प्रतिपक्ष रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष की शक्तियों और अधिकार की बात करें तो उसे कैबिनेट मंत्री के बराबर माना जाता है। उसे कैबिनेट मंत्री के ही सभी प्रोटोकॉल प्राप्त होते हैं। सचिवालय में उसका दफ्तर होता है।
3.30 लाख मासिक वेतन
नेहरू-गांधी परिवार के पांचवे वंशज राहुल गांधी रायबरेली से सांसद हैं। ऐसे में उन्हें ये सभी सुविधाएं बतौर नेता प्रतिपक्ष हासिल होंगी। उन्हें कैबिनेट मंत्री के अनुसार ही हाई सिक्योरिटी भी मिलेगी। जबकि उनका मासिक वेतन 3.30 लाख मिलेगा। जोकि सांसद से कहीं अधिक है। एक सांसद को तकरीबन 2.25 लाख रुपए वेतन मिलता है।
10 साल से खाली था पद
नेता विपक्ष के चयन को लेकर अगर नियम की बात करें तो विपक्षी दल के पास लोकसभा की कुल संख्या का 10 फीसदी यानि 54 सांसद होना अनिवार्य है। 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास 54 सांसद भी नहीं थे। यही वजह है कि लोकसभा को नेता विपक्ष नहीं मिल सका था। लोकसभा में आखिरी विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज थीं।
पहली बार संवैधानिक पद संभालेंगे राहुल
इस बार कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की है, लिहाजा सबसे बड़ा दल होने के नाते पार्टी के नेता राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष चुनने का फैसला लिया गया गया है। राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। पिछले ढाई दशक में पहली बार राहुल गांधी कोई संवैधानिक पद संभालेंगे।
नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी, सीबीआई चीफ, लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त सहित अहम पदों की नियुक्तियों के लिए पैनल के सदस्य भी होंगे। इस तरह के सभी पैनल के मुखिया प्रधानमंत्री होते हैं।
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