- संसद सत्र को लेकर NCP-SP तैयार, पवार बोले- खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का उठाएंगे मुद्दा | सच्चाईयाँ न्यूज़

शनिवार, 22 जून 2024

संसद सत्र को लेकर NCP-SP तैयार, पवार बोले- खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का उठाएंगे मुद्दा



 देश में 18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र की शुरुआत 24 जून से होने वाली हैं। जहां पहले दो दिन सभी नए लोकसभा सदस्यों को शपथ दिलाया जाएगा, वहीं उसके कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।

इसे लेकर केंद्र सरकार के साथ सभी राजनीतिक दलों की तैयारी भी देखी जा रही है। पुणे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उनके साथ उनके भाई प्रतापराव पवार और लोकसभा की सदस्य सुप्रिया सुले भी मौजूद रहीं।

'बारामती में एआई तकनीक की गई है लागू'
पत्रकारों को संबोधित करते हुए राकांपा (शपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि संसद के आगामी सत्र में वो खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के इस्तेमाल का मुद्दा उठाएंगे। इस दौरान उन्होंने कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने दावा किया कि देश में पहली बार बारामती लोकसभा क्षेत्र में एआई तकनीक (खेती में) लागू किया जा चुका है। बता दें कि बारामती लोकसभा क्षेत्र से उनकी बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं।

'एआई से बढ़ाया जा सकता है गन्ने का उत्पादन'
वहीं पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि एआई तकनीक की मदद से कम लागत पर गन्ने का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। शरद पवार ने आगे कहा कि हम आगामी संसद सत्र में किसानों और खेती से जुड़े सवाल उठाएंगे। यहां तक कि खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल का मुद्दा उठाएंगे। उन्होंने कहा कि जल और बारिश के पानी के प्रबंधन की योजना बनाने में एआई काफी सहायक हो सकता है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और माइक्रोसॉफ्ट कर रहे सहयोग
राकांपा (शपा) अध्यक्ष ने कहा कि एआई इन दिनों वैश्विक चर्चा का विषय है और खेती में इसका इस्तेमाल काफी बड़ा हो सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और माइक्रोसॉफ्ट ने पहले ही हमारे साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने बताया कि बारामती देश का पहला क्षेत्र है, जहां इस एआई तकनीक को शुरू किया गया है। उन्होंने एआई के लाभों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि एआई का उपयोग करके कम लागत पर गन्ने का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। यह नई तकनीक जल्द ही शुरू की जाएगी। इस नई तकनीक के इस्तेमाल के लिए कुछ किसानों का चुना जाएगा। फिलहाल हम गन्ने की फसल से इसकी शुरुआत कर रहे हैं और बाद में इसे दूसरे फसलों में इस्तेमाल करेंगे।

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