चीन और ताइवान के बीच तनातनी अब नया मोड़ लेती दिख रही है. चीन अपने सैन्य बल का डाइरेक्ट इस्तेमाल किए बिना ही ताइवान को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की रणनीति अपनाता रहा है जो बेहद खतरनाक प्रतीत हो रही है!
बता दें कि ताइवान पर चीन हमेशा से ही 'कब्जा' करने की कोशिश करता रहा है. दरअसल चीन ताइवान को अपना ही हिस्सा मानता है. कुछ हफ्ते पहले ही ताइवान की ओर से दावा किया गया था कि चीन के सात मिलिट्री एयरक्राफ्ट और नौसेना के पांच पोतों को उसने अपनी समुद्री सीमा में चक्कर लगाते देखा है. ताइवान का कहना था कि चीनी सेना का एक एयरक्राफ्ट तो ताइवान स्ट्रेट (ताइवान जलडमरूमध्य) में अपनी सीमा को पार कर उनकी सीमा में घुस गया था.
चीन की इस रणनीतिक अप्रोच के इर्द गिर्द csis.org में छपी रिपोर्ट कहती है कि चीन अपने तट रक्षक बल और समुद्री सेना के जरिए ताइवान के बंदरगाहों पर प्रतिबंध लगाएंगा. ये सीधे सीधे युद्ध की घोषणा किए बिना युद्ध जैसा कदम ही होगा क्योंकि इससे ताइवान के इन इलाकों में महत्वपूर्ण आपूर्ति पर बुरा असर पड़ेगा. इसे एक ग्रे जोन रणनीति (gray zone tactic) के रूप में देखा जा रहा है जो पूरी तरह से नाकाबंदी भी नहीं है लेकिन लॉन्ग टर्म में ताइवान की कमर तोड़ने के लिए काफी है.
क्या है यह क्वारंटाइन स्ट्रेटिजी…
चीन अमेरिका से सीधे सीधे टकराव को अवॉइड करते हुए ताइवान पर प्रेशर बड़ा रहा है. अमेरिका हमेशा से ताइवान का पक्ष लेता रहा है. एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन के साथ ताइवान के आर्थिक संबंधों के चलते चीन के इन कदमों से इंटरनेशनल रिलेशन्स और वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा. इस रणनीति से चीन ताइवान को दुनिया से पूरी तरह काटेगा नहीं बल्कि ताइवान के समुद्री और हवाई कॉमर्स पर कंट्रोल करने लग सकता है. खान पान और दवा जैसी जूररी आवश्यकताएं ताइवान को मिलती रहेंगी जिससे चीन यह दावा कर सकेगा कि किसी तरह की कोई परेशानी है ही नहीं. मगर वह कुछ खास सेगमेंट की सप्लाई रोकेगा जैसे कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की शिपमेंट. वैसे जानकार मानते हैं कि चीन की इस रणनीति से ताइवान को अपनी स्वतंत्रता की आधिकारिक घोषणा करनी पड़ सकती है जिसका चीन हमेशा से जबरदस्त विरोध करता आया है.
चीनी मीडिया में ताइवान समर्थन पर दो टूक
चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, उसने शुक्रवार को ताइवान की स्वतंत्रता के कट्टर समर्थकों के लिए बाकायदा दंड का ऐलान किया है. यहां तक कि 'विशेष रूप से गंभीर' मामलों के लिए मौत की सजा को शामिल करने की घोषणा तक कर दी थी और इस बारे में करने के बारे में एक नोटिस जारी किया था.
ताइवान की ओर से जारी बयान..
ताइवान ने इस बीच कहा कि बीजिंग का 'पूरे ताइवान पर कोई कानूनी अधिकार क्षेत्र नहीं है' और उसके नियमों का 'हमारे लोगों को मानने के लिए कोई जबरदस्ती नहीं है.' एक बयान में ताइवान ने कहा, बीजिंग अधिकारियों की कार्रवाई केवल ताइवान जलडमरूमध्य के लोगों के बीच टकराव को भड़काएंगी ही. और यह स्थिति क्रॉस-स्ट्रेट संबंधों में पॉजिटिव विकास तो नहीं ही करेंगी.
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