कर्नाटक में लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के घटिया प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सरकार पार्टी के अंदर से ही भारी दबाव झेल रही है। कांग्रेस सरकार के कुछ मंत्री खुलेआम उपमुख्यमंत्रियों की संख्या बढ़ाने की मांग करने लगे हैं।
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार सत्ताधारी कांग्रेस में कम से कम तीन मंत्रियों ने सार्वजनिक तौर पर उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्टी पहले ही लोकसभा चुनावों में 28 में से सिर्फ 9 सीटें जीत पाने के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश में है, लेकिन पार्टी के अंदर उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग ने उसकी टेंशन और बढ़ा दी है।
कांग्रेस के मंत्रियों ने ही सिद्दारमैया सरकार पर बढ़ा दिया दबाव
दरअसल, सिद्दारमैया सरकार के कुछ मंत्रियों ने चुनावों के दौरान ही जातियों और समुदायों के हिसाब से उपमुख्यमंत्री पद बांटने की मांग शुरू की थी। लेकिन, पार्टी ने तब उस मांग को खारिज कर दिया था। अब जब लोकसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन की तुलना में वह आधी सीटें भी नहीं जीत सकी है तो ऐसे मंत्रियों को मौका मिल गया है।
तीन मंत्रियों ने सार्वजनिक तौर पर उपमुख्यमंत्रियों की संख्या बढ़ाने की वकालत की
पीडब्ल्यू मंत्री सतीश जारकीहोली, कोऑपरेटिव मंत्री केएन राजन्ना और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान ने विभिन्न मंचों से सार्वजनिक तौर पर इस मामले में अपनी राय जाहिर करके कांग्रेसी सीएम की चिंता बढ़ा दी है। पहले दोनों मंत्री अनुसूचित जाति से आते हैं और खान मुसलमान हैं।
सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार की अगुवाई में पार्टी की हुई फजीहत
इस समय सिर्फ डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री हैं, जो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। लोकसभा चुनावों की कमान सीएम के साथ-साथ इन्हीं को मिली थी, लेकिन पार्टी की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। कांग्रेस मुख्यमंत्री के गृह जिले मैसूर में भी हार गई है और बेंगलुरु रूरल में शिवकुमार अपने भाई और सीटिंग एमपी डीके सुरेश को भी जितवाने में नाकाम रहे। जबकि, 2019 में मोदी की आंधी में भी कांग्रेस यह सीट जीत गई थी।
डीके शिवकुमार का नहीं कम हो रहा है संकट
इस साल जनवरी जी परमेश्वरा, सतीश जारकीहोली, एचसी महादेवप्पा, राजन्ना और केएच मुनियमप्पा जैसे कांग्रेसी नेताओं की एक डिनर मुलाकात काफी चर्चित हुई थी। माना गया है कि यह उपमुख्यमंत्री बनाने के लिए दबाव की राजनीति थी।
इनमें से परमेश्वरा पहले भी डिप्टी सीएम रह चुके हैं। तब इन सभी नेताओं को मुख्यमंत्री के वफादार के रूप में देखा गया और पार्टी हाई कमान को लगा कि इनमें से किसी को भी डिप्टी सीएम बनाने का मतलब होगा, शिवकुमार का कद छोटा करना जो कथित तौर पर पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार बताए जाते हैं।
अब जिस तरह से डिप्टी सीएम पद बढ़ाने की मांग हो रही है, उसको देखकर कुछ राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि ये नेता खुद सिद्दारमैया के उत्तराधिकारी बनने के लिए अभी से मैदान तैयार कर रहे हैं और यह डीके के मंसूबों के लिए कतई सही संकेत नहीं है।
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