शानदार बहुमत के साथ तीसरी बार देश की कमान संभाल रहे पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के पहले दिन ही पाकिस्तान ने बड़ा पंगा ले लिया है. रविवार शाम में एक तरफ पीएम मोदी का शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था तभी उधर जम्मू-कश्मीर के रियासी इलाके में आतंकवादियों ने वैष्णो देवी जा रहे श्रद्धालुओं की एक बस पर हमला कर दिया.
दुनिया की नजर में आने की कोशिश
इस घटना को सीधे तौर पर पीएम मोदी को चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण में पड़ोसी देशों बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, भूटान, सेसेल्स, मॉरीशस के शासनाध्यक्ष और राष्ट्रध्यक्षों को आमंत्रित किया है. इस समारोह में तमाम देशों के राजदूत और उच्चायुक्त भी शामिल हुए. ऐसे में इस तरह की आतंकी घटना को अंजाम देकर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने भारत की प्रतिष्ठा को चुनौती दी है. इस शपथ ग्रहण के लिए राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. हमने के जरिए वह दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में वह अब भी सक्रिय है और उनका प्रभाव है.
कड़क रहेगी मोदी सरकार
लेकिन, शायद वे पीएम मोदी के बीते दो कार्यकालों को भूल गए हैं. पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर पर अपनी सरकार की नीति को 'जीरो टोलरेंस' वाली बना दिया. सुरक्षा बल घाटी में चुन-चुन कर आतंकियों का सफाया कर रहे हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने से भी परहेज नहीं किया था. इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ हर स्तर पर संपर्क तोड़ लिया. अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए पूरी मुहिम चला दी. आज पीएम मोदी की इस मुहिम का असर दिख भी रहा है. पाकिस्तान बर्बादी के कगार पर है. घाटी में आतंकियों की कमर टूट चुकी है. इसका सबसे बड़ा सबूत बीता लोकसभा चुनाव रहा. इस चुनाव में घाटी की सीटों पर बंपर वोटिंग हुई. लोगों में आतंकवादियों का भय खत्म हो गया है.
पाकिस्तान को निमंत्रण नहीं
पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण में सात पड़ोसी देशों को आमंत्रित किया था लेकिन उसमें पाकिस्तान का नाम नहीं था. इस तरह उन्होंने संकेत दे दिया कि उनके तीसरे कार्यकाल में भी पाकिस्तान को लेकर उनके रुख में कोई नरमी नहीं आने वाली है. लेकिन, आज के आतंकी हमले ने पीएम मोदी के इस रुख में शून्य प्रतिशत के बदलाव की भी गुंजाइश नहीं छोड़ी है.
और बिगड़ेंगे रिश्ते
दरअसल, कुछ दिन पहले पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने सार्वजनिक तौर पर माना था कि 1999 में उनकी सेना ने भारत के पीठ में छूरा घोंपा था. उनके इस बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी काफी संतुलित बयान दिया. इसके बाद कुछ जानकारों ने संभावना जताई कि पाकिस्तान में नवाज शरीफ की पार्टी के सत्ता में आने के बाद भारत के साथ रिश्तों में जमी बर्फ थोड़ी बहुत पिघल सकती है. लेकिन, इस आतंकी घटना ने पूरी उम्मीद पर पानी फेर दिया है.
पीएम मोदी के पिछले दो कार्यकाल में पाकिस्तान को लेकर अपनाई गई कड़ी नीति को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि उसने गलत समय पर गलत व्यक्ति और देश से पंगा लिया है. इस वक्त पूरी दुनिया की नजर भारत पर है. भारत के राजनीतिक इतिहास में पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन बार स्पष्ट बहुमत की सरकार बनने की वजह से उनकी प्रतिष्ठा वैश्विक नेता की बन गई है.
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