- 90 फीसदी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बेसिक सुविधाओं की कमी- जस्टिस राव | सच्चाईयाँ न्यूज़

रविवार, 30 जून 2024

90 फीसदी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बेसिक सुविधाओं की कमी- जस्टिस राव



 देश भर की जिला अदालतों में न्यूनतम सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में साल 2018 से काम कर रही संस्था विधि (Vidhi) के सेंटर फॉर लीगल पालिसी के JALDI (Justice, Access & Lowering Delayes in India) इनिशिएटिव के कोर्ट डिजाइन हैंडबुक लांच के मौके पर तेलंगाना हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस नवीन राव पोनुगोटू (रिटायर) ने टीवी9 भारतवर्ष के साथ बातचीत में कहा कि देश की जिला अदालतों में 90 फीसदी से ज्यादा सुविधाओं की कमी है.

इस शुरुआत से हर किसी को फायदा मिलेगा.

जस्टिस राव ने इस बात पर जोर डाला कि यह कमी जिला जजों से लेकर वकीलों, याचिकाकर्ताओं, आरोपियों और उनके परिवारों तक सभी को प्रभावित करती है. जस्टिस राव ने तेलंगाना के वारंगल में जिला जज के रूप में अपना अनुभव भी साझा किया, जहां सुविधाओं में सुधार की वजह से लंबित मामलों के जल्द निपटान में मदद मिली. खासतौर से फैमिली कोर्ट में, मामलों के तेजी से निपटान और लंबित मामलों के बैकलॉग को कम करने में मदद मिली.

कानूनी और वैधानिक सलाह पर केंद्रित विधि

विधि एक स्वतंत्र संगठन है जो कानूनी और वैधानिक सलाह पर केंद्रित है. JALDI (Justice, Access & Lowering Delays in India) नामक अपनी पहल के तहत, विधि न्यायपालिका में मूलभूत मुद्दों पर शोध और ऑडिट करने तथा व्यापक सुधारों को लागू करने के लिए राज्य हाई कोर्ट्स के साथ सहयोग करती है.

इन सुधारों का मकसद जिला न्यायालयों को महिलाओं के लिए शौचालय, वेटिंग रूम, गर्भवती महिलाओं के लिए एस्केलेटर, बच्चों के लिए खेल के मैदान, बेहतर सुरक्षा, स्वच्छता और अच्छी कैंटीन जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान कराना है.

665 जिला कोर्ट में बुनियादी सुविधाएं नहींः विधि

विधि- JALDI इनिशिएटिव की हेड दीपिका कीन्हाल ने बताया कि हमारा संगठन वर्तमान में ओडिशा, दिल्ली और मेघालय हाई कोर्ट के साथ न्यायिक सुधारों के लिए ऑडिट कर रहा है.

विधि के अनुसार, भारत में कुल 665 जिला न्यायालय हैं, जिनमें से अधिकांश बुनियादी ढांचे की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और यहां पर खासा सुधार किए जाने की जरुरत है.

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