इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा, "अतीत में भारत और अमेरिका दूर थे, क्योंकि अमेरिका ने चीन और पाकिस्तान को चुना था. लेकिन 2000 के दशक में, भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के साथ संबंधों में एक नई धुरी आई. तब से भारत और अमेरिका के संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है."
70 के दशक की शुरुआत में US ने चीन की ओर किया रुख- एरिक गार्सेटी
इसके अलावा एरिक गार्सेटी ने कहा कि परमाणु समझौते ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई दिल्ली के एकीकरण की सुविधा प्रदान की. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक, हमने वास्तव में ब्रिटिशों से भारत की आजादी का समर्थन किया था. हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध थे, लेकिन जब 70 के दशक की शुरुआत में हमने चीन की ओर रुख किया तो हम भारत से दूर चले गए और उन्हें सोवियत संघ की ओर धकेल दिया.
भारत को नहीं लगता था US एक भरोसेमंद साझेदार
इस दौरान अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ने यह भी कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के करीब है और भारत उन्हें भरोसेमंद साझेदार नहीं मानता. उन्होंने कहा, "हम पाकिस्तान के करीब थे और मुझे लगता है कि भारत सरकार को नहीं लगता था कि अमेरिका एक भरोसेमंद साझेदार है. यह धारणा 2000 के दशक में बदल गई जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने परमाणु समझौते पर भारत के साथ बातचीत शुरू की."
पन्नू मामले में भारत की जवाबदेही से संतुष्ट
वहीं, एरिक गार्सेटी ने यह भी कहा कि अमेरिका उन आरोपों पर भारत से मांगी गई जवाबदेही से 'संतुष्ट' है जिसमें उसके अधिकारी अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नून को मारने की साजिश में शामिल थे.
उन्होंने कहा कि किसी भी रिश्ते में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं और इस मामले में यह संबंधों में पहली बड़ी लड़ाई हो सकती थी और शुक्र है कि हमने जैसी जवाबदेही की अपेक्षा की थी, प्रशासन अब तक उससे संतुष्ट है क्योंकि अमेरिका एवं हमारे नागरिकों के लिए यह अस्वीकार्य है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक आपराधिक मामला है जिसमें अभियोग चलाया गया है. अगर इसमें सरकारी तत्व शामिल हैं तो जवाबदेही होनी चाहिए. हम न केवल अपने आप से, बल्कि भारत से भी इस जवाबदेही की उम्मीद करते हैं." गार्सेटी ने कहा कि भारत ने एक जांच आयोग बनाया है. भारत ने अभी तक जो कदम उठाए हैं उससे वह संतुष्ट हैं.
एक टिप्पणी भेजें