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गुरुवार, 16 मई 2024

'गाजीपुर लाने के लिए करने होंगे इंतजाम, एक लाख लोगों को भी यह राहत देने में आपत्ति नहीं' अब्बास अंसारी मामले में SC ने ऐसा क्यों कहा


 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी को अपने दिवंगत पिता मुख्तार अंसारी के प्रार्थना कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दे दी है। अब्बास अंसारी मुख्तार अंसारी के प्रार्थना कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 10 जून को पुलिस हिरासत में अपने घर गाजीपुर ले जाए जाएंगे।

इसके अलावा कोर्ट ने पुलिस हिरासत में ही अब्बास अंसारी को 11 और 12 जून को परिवार के साथ वक्त बिताने की भी इजाजत दी है। इसके लिए अब्बास अंसारी को कासगंज जेल से गाजीपुर जेल लाया जाएगा और 13 जून को वापस कासगंज जेल लाया जाएगा।

मुख्तार अंसारी की मौत कैसे हुई?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने अब्बास अंसारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को यह आदेश दिया। मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को दिल का दौरा पड़ने से बांदा के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। मुख्तार अंसारी उस वक्त हिरासत में जेल में था जिसे बीमार होने पर अस्पताल लाया गया था जहां उसकी मौत हो गई थी।

अब्बास अंसारी को गाजीपुर जेल लाया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अब्बास अंसारी को पुलिस हिरासत में प्रार्थना कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गाजीपुर ले जाने के इंतजाम करने का पुलिस को आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अब्बास अंसारी को नौ जून को कासगंज जेल से गाजीपुर जेल स्थानांतरित कर दिया जाएगा ताकि वह बिना किसी बाधा के 10 जून को होने वाली प्रार्थना में शामिल हो सकें और प्रार्थना सभा के बाद शाम को छह बजे वापस गाजीपुर जेल लाया जाएगा।

सभी कार्यक्रम समाप्त

इसके बाद 11 जून और 12 जून को उसे फिर घर ले जाया जाएगा। उसे परिवार के लोगों के साथ समय बिताने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने अब्बास अंसारी की अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी थी कि अब्बास अंसारी के पिता मुख्तार अंसारी की मृत्यु से संबंधित अब कोई भी अनुष्ठान नहीं बचा है। अर्जीकर्ता की स्वयं की स्वीकारोक्ति के मुताबिक सभी कार्यक्रम समाप्त हो चुके हैं।

यह राहत देने में आपत्ति नहीं

जब कोर्ट ने अब्बास अंसारी को प्रार्थना कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति का आदेश दिया तो प्रदेश सरकार की वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि कोर्ट आदेश में यह दर्ज करे कि इस आदेश को मिसाल नहीं माना जाएगा क्योंकि राज्य में एक लाख से ज्यादा कैदी हैं और कोर्ट के समक्ष अर्जियों की बाढ़ आ जाएगी। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था ने निपटना आपका काम है। कोर्ट को एक लाख लोगों को यह राहत देने में आपत्ति नहीं है।

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