एक तो पाकिस्तान पहले से ही कंगाल है अब उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। वैसे मुसीबत इतनी बड़ी नही है लेकिन कंगाली में आटा गीला वाली कहावत यहां बिलकुल सटीक बैठती है। कंगाल मुल्क पाकिस्तान से चीन ने क्या दोस्ती निभाई है इसका जीता जागता नमूना देखने को मिला है।
देना होगा हर्जाना
दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान में चीनी नागरिकों के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था। इस आतंकी हमले में पांच चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान इस हमले में मारे गए चीनी नागरिकों के परिवारों को बदले में 2.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 72 करोड़ पाकिस्तानी रुपए देगा। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है जिसमें हर्जाना देने का फैसला लिया गया है।
काफिले में घुसी विस्फोटकों से भरी कार
26 मार्च को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के शांगला में एक सुसाइड अटैक हुआ था। आत्मघाती हमलावर ने चीनी नागरिकों के काफिले को निशाना बनाया था और विस्फोटकों से भरी कार उनके काफिले में घुसा दी थी। चीनी नागरिकों पर इस्लामाबाद से खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान जाने के दौरान हमला किया गया था। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को घेरने की कोशिश की थी लेकिन अफगान तालिबान ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था।
निशाने पर चीनी नागरिक
हमला सोच समझकर किया गया था। हमला उस वक्त किया गया था जब चीनी नागरिक दासू में अपने कैंप की ओर जा रहे थे। दासू पहले भी आतंकियों के निशाने पर रहा है। यहां 2021 में भी एक बड़ा हमला हुआ था। तब एक बस पर हुए अटैक में 9 चीनी नागरिकों समेत 13 लोग मारे गए थे।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का विरोध
चीन पाकिस्तान से अपने देश तक एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है, जिसमें ग्वादर पोर्ट समेत आसपास के इलाकों का विकास किया जाना है। बलूचिस्तान का एक बड़ा हिस्सा इसी CPEC प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लड़ाके विरोध करते हैं और आए दिन हमलो को अंजाम देते हैं। ज्यादातर हमले खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के इलाके में हुए हैं। बलूचिस्तान में स्थानीय आबादी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ है, बावजूद इसके चीन ने यहां भारी निवेश कर रखा है।
एक टिप्पणी भेजें