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शनिवार, 11 मई 2024

केरल और मुंबई में भी ऐसा हुआ... हाई कोर्ट ने दी नाबालिग रेप पीड़िता को दी 28 हफ्ते के गर्भपात की अनुमति

 


ध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने भोपाल की 17 साल की नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात करने के मामले में अहम फैसला सुनाया है। इसमे नाबालिक रेप पीड़िता को गर्भपात करने की अनुमति दी है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट और केरल हाई कोर्ट के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया है। मुंबई हाई कोर्ट ने 32 और केरल हाईकोर्ट ने 28 हफ्तों की मियाद बीतने के बाद भी गर्भपात की अनुमति दी थी।। बता दें कि कोर्ट पहुंचने वाली नाबालिक के साथ भोपाल में रेप हुआ था जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी।

भोपाल के मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट ने यह अहम आदेश दिया है। मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल प्रेगनेंसी टर्मिनेशन एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक 24 सप्ताह से ज्यादा का गर्भ होने पर गर्भपात की अनुमति नहीं मिलती। लेकिन भोपाल की 17 साल की नाबालिग रेप पीड़िता के सामाजिक और आर्थिक हालातों को देखते हुए अदालत ने उसे गर्भपात की इजाजत दे दी है।

केरल और बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का हवाला

मामले की सुनवाई के दौरान रेप पीड़िता नाबालिग की ओर से हाजिर हुए अधिवक्ताओं ने इसके पहले बॉम्बे हाई कोर्ट और केरल हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसलों का भी हवाला दिया जिसमें बताया गया कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 32 और केरल हाईकोर्ट ने 28 हफ्तों की मियाद के बावजूद भी गर्भपात की अनुमति दी थी। इन दलीलों को सुनने के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डबल बेंच ने नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दी है।

सिंगल बेंच ने पेश की थी रिपोर्ट

पहले सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर की गई थी। जिस पर अदालत ने नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत नहीं दी थी जिसके बाद उसी दिन हाई कोर्ट की डबल बेंच के समक्ष रिव्यू पिटीशन पेश की गई। इसके बाद हाई कोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर ही किशोरी के स्वास्थ्य की जांच के लिए भोपाल में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया रेप पीड़िता की जांच कर सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई।

मेडिकल बोर्ड के रिपोर्ट के अवलोकन के बाद अदालत में रेप पीड़िता को राहत देते हुए उसे 28 हफ्तों के गर्भ के टर्मिनेशन की अनुमति दे दी है। नाबालिग रेप पीड़िता की ओर से अदालत में हाजिर हुए अधिवक्ताओं ने कहा है कि रेप पीड़िता अभी बालिग नहीं हुई है और वह गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती। यदि वह गर्भपात नहीं कराती तो भविष्य में उसे कई तरह की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इन दलीलों को मानते हुए अदालत ने रेप पीड़िता नाबालिग के हक में फैसला सुनाया है।

याचिकाकर्ता रेप पीड़िता के वकील ऋत्विक दीक्षित ने बताया कि पीड़ित के पिता ने हमें इस केस पर काम करने के लिए अप्रोच किया था और कहा था कि पीड़ित के साथ जब रेप हुआ उसके बाद वह प्रग्नेंट हो गई थी।इस मामले में डॉक्टर से कंसल्ट किया तो उन्होंने कहा कि 24 हफ्ते हो चुके है। 1971 अधिनियम के तहत इसे टर्मिनेट नहीं कर सकते। सीनियर वकीलों से बातचीत करने के बाद एकल पीठ उच्च न्यायालय में एक पिटीशन दायर की थी जो निरस्त कर दी गई। इसके बाद उच्च न्यायालय विशाल मिश्रा के न्यायालय में दोबारा याचिका लगाई गई। इसमे कहा गया कि पीड़िता नाबालिक है और इस प्रेगनेंसी को अटेंड नहीं कर सकती है। न्यायालय ने हमारी बात को माना और अधिनियम 1971 के तहत एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया। उसे रिपोर्ट में बताया गया कि 24 हफ्ते ने बीत जाने के बाद भी इस प्रेगनेंसी को अटेंड किया जा सकता है। रिपोर्ट विजेन्द्र यादव

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