चीन और ताइवान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। बीजिंग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक बार फिर चीनी सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। हालांकि, ताइवान की सेना ने भी इसका जवाब दिया।
तीन विमानों ने मध्य रेखा की पार
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (MND) ने बताया कि मंगलवार सुबह छह बजे से बुधवार छह बजे तक ताइवान के आसपास चीनी सैन्य विमान और नौसैनिक जहाजों को देखा गया। इतना ही नहीं 13 चीनी विमानों में से तीन ने ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया। इसके अलावा, एक ने दक्षिण-पश्चिम में देश के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) के अंदर घुसने की कोशिश की। बता दें चीन और ताइवान के बीच यह जल संधि एक अनौपचारिक सीमा है। वहीं यहां एक चीनी ड्रोन भी देखा गया। इसके जवाब में ताइवान ने चीन की गतिविधि की निगरानी के लिए विमान, नौसैनिक जहाजों और वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया।
क्या है ग्रे जोन रणनीति?
अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से 'ग्रे जोन' रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है।
जानकारों का कहना है कि ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है।
403 चीनी सैन्य विमानों को भेज चुका है चीन
इस महीने अब तक करीब 403 चीनी सैन्य विमानों और करीब 243 नौसैनिक/तटरक्षक जहाजों ने ताइवान में घुसने की कोशिश की है। ताइवान पर कभी शासन नहीं करने के बावजूद चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी इसे अपने क्षेत्र का हिस्सा मानती है।
कितनी बार घुसपैठ की कोशिश कर चुकी है चीनी सैना?
महज अप्रैल में ताइवान में 40 बार चीनी सैन्य विमानों और 27 बार नौसैनिक जहाजों का पता लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2020 से चीन ने ताइवान के आसपास सक्रिय सैन्य विमानों और नौसैनिक जहाजों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि करके ग्रे जोन रणनीति के अपने उपयोग को बढ़ा दिया है। गौरतलब है चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। चीन के दबान के कारण सिर्फ 10 से अधिक देशों ने ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता दी हुई है।
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