नई दिल्ली। निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा को लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर महाराष्ट्र की अमरावती सीट से नामांकन भरने के आखिरी दिन सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है।
चुनाव लड़ने का रास्ता साफ
नवनीत राणा महाराष्ट्र की अमरावती सीट से 2019 में निर्दलीय सांसद चुनी गईं थीं। यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है। हालांकि नवनीत राणा इस बार भी वहीं से भाजपा की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। गुरुवार को जो फैसला आया है वह 2019 के चुनाव के बारे में आया है। लेकिन जाति प्रमाण पत्र बहाल होने से इस बार भी नवनीत राणा के लिए भाजपा की टिकट पर अमरावती की सीट से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है।
क्या है पूरा मामला?
बाम्बे हाई कोर्ट ने 2021 में नवनीत राणा का अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र रद कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि नवनीत राणा ने मोची जाति प्रमाणपत्र फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी से प्राप्त किया था। गुरुवार को न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी और संजय करोल की पीठ ने हाई कोर्ट का आदेश रद करते हुए अपने फैसले में कहा कि स्क्रूटनी कमेटी ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए दस्तावेजों की जांच परख और विचार करने के बाद निर्णय दिया था।
हाई कोर्ट को अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल याचिका में सुनवाई के दौरान उसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपील स्वीकार की जाती है और हाई कोर्ट का आदेश रद किया जाता है।
HC ने जून 2021 में निरस्त किया था प्रमाण पत्र
मौजूदा मामले में शिवसेना नेता आनंदराव अडसुले ने मुंबई जिला जाति प्रमाण पत्र जांच समिति के समक्ष नवनीत कौर राणा के मोची जाति प्रमाणपत्र के बारे में शिकायत करते हुए सवाल उठाया था। लेकिन समिति ने जाति प्रमाणपत्र को विधिमान्य ठहराया था। जिसके बाद अडसुले ने बांबे उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। जिस पर बाम्बे हाई कोर्ट ने जून 2021 में फैसला देते हुए नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था।
हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि नवनीत राणा ने सुरक्षित संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाणपत्र हासिल किया था। हाई कोर्ट ने नवनीत राणा पर दो लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था। हाई कोर्ट ने माना था कि नवनीत राणा की ओर से जाति प्रमाणपत्र के समर्थन और दावे में पेश किये गए ज्यादातर दस्तावेज स्वीकार किये जाने लायक नहीं हैं। हाई कोर्ट ने माना था कि नवनीत राणा का मोची जाति के होने का दावा गलत था।
एक टिप्पणी भेजें