चुनाव आयोग के चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार को होम मिनस्ट्री (एमएचए) ने सुरक्षा दी है. मिनिस्ट्री ने यह सुरक्षा आईबी की रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा दी है. टीएमसी के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियां का चुनाव आयोग के दफ्तर में हंगामा हुआ था जिसके बाद आईबी की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट आई थी.
चीफ इलेक्शन कमिश्नर को जो सुरक्षा मिली है वह जेड श्रेणी की सुरक्षा है. केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ जेड श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था मुख्य चुनाव आयुक्त को मुहैया करवाएगी. इसके अलावा वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते जो उनका नियमित सुरक्षा मिलती थी और नियम के मुताबिक, वह भी उनके साथ रहेगी. सूत्र के मुताबिक, केंद्रीय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को जेड श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था मिली है . सीआरपीएफ के कुल 22 जवानों की मिली है. सुरक्षा व्यवस्था आज यानी मंगलवार देर शाम तक सीआरपीएफ मुख्यालय को इस मामले में औपचारिक तौर पर उपलब्ध कराया जा सकता है. सूत्र के मुताबिक, CRPF के कमांडो राजीव कुमार के साथ-साथ घर परिवार की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहेंगे.
आपको का दें कि सोमवार को चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर धरना देने के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिये गए टीएमसी के नेताओं ने अपना प्रदर्शन मंगलवार की सुबह भी मंदिर मार्ग पुलिस थाने में जारी रखा. दस सदस्यीय टीएमसी प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और मांग की कि प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदला जाए क्योंकि वे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कथित इशारे पर काम कर रहे हैं.
टीएमसी नेताओं ने बाद में घोषणा की कि वे निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर 24 घंटे के धरने पर बैठे हैं. प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, साकेत गोखले, सागरिका घोष, विधायक विवेक गुप्ता, पूर्व सांसद अर्पिता घोष, शांतनु सेन और अबीर रंजन विश्वास और टीएमसी की पश्चिम बंगाल छात्र इकाई के उपाध्यक्ष सुदीप राहा शामिल थे.
बाद में नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया और वहां से बलपूर्वक हटा दिया. पुलिस ने कहा कि उसने टीएमसी नेताओं को सोमवार रात रिहा कर दिया। हालांकि, नेता रातभर थाने में ही डटे रहे और अपना धरना जारी रखा. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी आरोप लगाती रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं.
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