- लुप्त हो रहे पक्षी, लोगों के स्वास्थ्य पर भी दिख रहा असर, सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन पर दिया क्या खास आदेश | सच्चाईयाँ न्यूज़

सोमवार, 8 अप्रैल 2024

लुप्त हो रहे पक्षी, लोगों के स्वास्थ्य पर भी दिख रहा असर, सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन पर दिया क्या खास आदेश


 सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और गुजरात राज्य में लुप्तप्राय पक्षी 'ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' के संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे के बीच संतुलन के उपाय सुझाने के लिए एक समिति का गठन करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन समानता के अधिकार की संवैधानिक गारंटी को प्रभावित करता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2021 के पहले के आदेश को वापस ले लिया, जिसमें दोनों राज्यों में 80,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने की आवश्यकता थी. मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उच्च वोल्टेज और कम वोल्टेज विद्युत लाइनों को भूमिगत करने के लिए दिए गए आदेश पर नए सिरे से विचार की आवश्यकता है.

पीठ ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन समानता के अधिकार की संवैधानिक गारंटी को प्रभावित कर सकता है. जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से स्थिर और अप्रभावित स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह से साकार नहीं होता है. स्वास्थ्य का अधिकार (जो अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक हिस्सा है) वायु प्रदूषण, वेक्टर जनित बीमारियों में बदलाव, बढ़ते तापमान, सूखा, फसल खराब होने के कारण खाद्य आपूर्ति में कमी, तूफान और बाढ़ जैसे कारकों के कारण प्रभावित होता है'

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं, और उनकी संख्या में चिंताजनक कमी का कारण उनके निवास स्थान के पास सौर संयंत्रों सहित ओवरहेड बिजली पारेषण लाइनों से उनका अकसर टकराना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई नागरिकों के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति की कमी न केवल आर्थिक विकास में बाधा डालती है, बल्कि महिलाओं और कम आय वाले परिवारों सहित समुदायों को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है, जिससे असमानताएं और बढ़ती हैं.

पीठ ने अपने 21 मार्च के आदेश में एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने को कहा था जिसमें देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. हरि शंकर सिंह, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के सदस्य डॉ. निरंजन कुमार वासु, पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक बी. मजूमदार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन और प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. देवेश गढ़वी, द कॉर्बेट फाउंडेशन के उपनिदेशक ललित बोहरा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (हरित ऊर्जा गलियारा) और संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय शामिल होंगे.

समिति का कार्य सौर ऊर्जा उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिए पारेषण लाइनों की स्थापना के क्षेत्र में भी काम करना होगा. यह फैसला ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिए वन्यजीव कार्यकर्ता एम.के. रंजीतसिंह और अन्य की याचिका पर आया.

एक टिप्पणी भेजें

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search

Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...