थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे सोमवार को उज्बेकिस्तान गणराज्य की चार दिनों की यात्रा पर रवाना हुए। वे आज ही उज्बेकिस्तान गणराज्य के शीर्ष रक्षा नेतृत्व के साथ बातचीत में शामिल होंगे। उनकी यह यात्रा भारत और उज्बेकिस्तान गणराज्य के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
जनरल मनोज पांडे के साथ बैठकों की योजना उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल बखोदिर कुर्बानोव, प्रथम उप रक्षामंत्री और सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख मेजर जनरल खलमुखामेदोव शुक्रत गैरतजानोविच और वायुसेना प्रमुख मेजर जनरल बुरखानोव अहमद जमालोविच के साथ बनाई गई है। उज्बेकिस्तान के रक्षा अधिकारियों के साथ संवाद मजबूत सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण होंगे। जनरल मनोज पांडे की यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते तलाशने के अलावा भारत और उज्बेकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करना है।
जनरल मनोज पांडे के यात्रा कार्यक्रम में सशस्त्र बल संग्रहालय का दौरा और उसके बाद हास्ट इमाम एन्सेम्बल का दौरा भी शामिल है, जो उज्बेकिस्तान के समृद्ध सैन्य इतिहास और उपलब्धियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
यात्रा के दूसरे दिन 16 अप्रैल को सीओएएस भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद वह द्वितीय विश्वयुद्ध में उज्बेकिस्तान के योगदान और बलिदान को याद करते हुए विक्ट्री पार्क का दौरा करेंगे। उस दिन के कार्यक्रमों में सेंटर फॉर इनोवेटिव टेक्नोलॉजीज एलएलसी का दौरा शामिल होगा, जहां सीओएएस को रक्षा प्रौद्योगिकी और नवाचारों में उज्बेकिस्तान गणराज्य की ओर से की जा रही पहल के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इसके बाद जनरल मनोज पांडे उज्बेकिस्तान सशस्त्र बल अकादमी का दौरा करेंगे और भारत की सहायता से स्थापित अकादमी में आईटी लैब का उद्घाटन करेंगे। यात्रा के तीसरे दिन 17 अप्रैल को समरकंद की यात्रा करते हुए जनरल पांडे सेंट्रल मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर से मिलेंगे।
उनकी यह यात्रा 18 अप्रैल को टर्मेज में समाप्त होगी, जहां सीओएएस को भारत और उज्बेकिस्तान के सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त अभ्यास ''डस्टलिक'' का भी गवाह बनना है। वह उज्बेकिस्तान के गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक परिदृश्य का प्रत्यक्ष अवलोकन करते हुए टर्मेज संग्रहालय और सुरखंडार्य क्षेत्र के ऐतिहासिक स्मारकों का भी दौरा करेंगे।
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