ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा के लिए भी वोट डाले जाएंगे। राज्य के गंजम जिले की एक सीट पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। दरअसल इस सीट पर दो सगे भाई ही आमने-सामने हैं।
गंजम जिले की चिकिती सीट पर ओडिशा विधानसभा के पूर्व स्पीकर चिंतामनि देन सामंतरे के बेटे चुनाव मैदान में हैं। चिकिती में भाजपा ने यहां मनोरंजन देन सामंतरे को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने बड़े भाई रविंद्रनाथ देन सामंतरे को मैदान में उतारा है।
पिता रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
चिंतामनी देन सामंतरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वह चिकिती सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। दो बार वे निर्दलीय और एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। मनोरंजन इससे पहले भी दो बार यहां से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, एक बार 2014 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तो दूसरी बार 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार मनोरंजन को हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर मनोरंजन भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार उनके बड़े भाई रविंद्रनाथ भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे यहां लड़ाई रोचक हो गई है।
यह भाइयों की नहीं विचारधारा की लड़ाई
रविंद्रनाथ का कहना है कि पिता के समय से ही मैं राजनीति में सक्रिय हूं और इसी वजह से पार्टी ने मुझे टिकट दिया। यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है न कि दो भाइयों की लड़ाई। वहीं दोनों बेटों के चुनाव लड़ने पर चिंतामनी देन सामांतरे ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए किसी के लिए भी चुनाव प्रचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह एक कांग्रेसी हैं और भाजपा की नीतियों का विरोध करेंगे। बेटे के भाजपा से चुनाव लड़ने पर चिंतामनी सामंतरे ने कहा कि यह उसका अपना फैसला है। लोकतंत्र में हम अपना फैसला किसी पर थोप नहीं सकते हैं।
चाची-भतीजे में भी मुकाबला
ओडिशा की नबरंगपुर सीट पर भी ऐसा ही मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां चाची और भतीजे में लड़ाई है। चाची कौशल्या प्रधान बीजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं भतीजा दिलीप कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। दिलीप ने कहा कि यह दो पार्टियों की लड़ाई है न कि चाची और भतीजे के बीच की लड़ाई। ओडिशा विधानसभा के लिए 13 मई को मतदान कराया जाएगा।
पिता रहे हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
चिंतामनी देन सामंतरे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वह चिकिती सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं। दो बार वे निर्दलीय और एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। मनोरंजन इससे पहले भी दो बार यहां से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, एक बार 2014 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तो दूसरी बार 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार मनोरंजन को हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर मनोरंजन भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार उनके बड़े भाई रविंद्रनाथ भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे यहां लड़ाई रोचक हो गई है।
यह भाइयों की नहीं विचारधारा की लड़ाई
रविंद्रनाथ का कहना है कि पिता के समय से ही मैं राजनीति में सक्रिय हूं और इसी वजह से पार्टी ने मुझे टिकट दिया। यह दो विचारधाराओं की लड़ाई है न कि दो भाइयों की लड़ाई। वहीं दोनों बेटों के चुनाव लड़ने पर चिंतामनी देन सामांतरे ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए किसी के लिए भी चुनाव प्रचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह एक कांग्रेसी हैं और भाजपा की नीतियों का विरोध करेंगे। बेटे के भाजपा से चुनाव लड़ने पर चिंतामनी सामंतरे ने कहा कि यह उसका अपना फैसला है। लोकतंत्र में हम अपना फैसला किसी पर थोप नहीं सकते हैं।
चाची-भतीजे में भी मुकाबला
ओडिशा की नबरंगपुर सीट पर भी ऐसा ही मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां चाची और भतीजे में लड़ाई है। चाची कौशल्या प्रधान बीजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं भतीजा दिलीप कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। दिलीप ने कहा कि यह दो पार्टियों की लड़ाई है न कि चाची और भतीजे के बीच की लड़ाई। ओडिशा विधानसभा के लिए 13 मई को मतदान कराया जाएगा।
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