चुनावी माहौल में नेताओं की जुबान पर कंट्रोल कम ही देखने को मिलता है. चुनिंदा नेता होते हैं, जो सधी जुबान से अपनी बात कहकर जनता का दिल जीतने का माद्दा रखते हैं. ये खूबी गुरुवार को कांग्रेस के दो नेताओं में देखने को मिली.
आज जब हम इन दोनों की बात कर रहे हैं तो दोनों के बयानों का जिक्र करना भी लाजमी है. ये महज इत्तेफाक या फिसली जुबान का नतीजा नहीं, बल्कि इनकी सियासी सूझ है. साथ ही दोनों नेताओं के बयान उनकी सहज स्वीकार्यता को दिखाते हैं. सियासत में यही बात अड़ियल नेताओं से इनको अलग करती है.
पहले बात करते हैं हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की. उन्होंने सिने स्टार से सियासी फील्ड में उतरीं मंडी से भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत पर बयान दिया. प्रतिभा ने कहा कि हम कंगना का स्वागत करते हैं. वो भी हिमाचल प्रदेश की बेटी हैं और प्रदेश के लिए काम करना चाहती हैं.
उन्होंने काम करना भी शुरू कर दिया है. जल्द हम भी चुनाव मैदान में उतरेंगे. हमारा फोकस है. हम विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाएंगे. हमें मुद्दों की लड़ाई लड़नी है. लोगों से अपील करूंगी कि कंगना के बारे में किसी तरह की टिप्पणी न करें.
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि एक मंझे हुए राजनेता की तरह प्रतिभा सिंह ने कंगना को हिमाचल की बेटी बताया. उन्हें पता है कि सियासत में पर्सनल अटैक कई बार बहुत भारी पड़ जाता है. कई बार कांग्रेस के नेताओं ने पर्सनल अटैक करके बीजेपी को डायरेक्ट फायदा पहुंचाया है.
पीएम मोदी पर पर्सनल अटैक हुए. कांग्रेस नेताओं ने उन पर व्यक्तिगत टिप्पणियां की तो पूरी पार्टी ने एक होकर अटैक को बखूबी भुनाया. इस बार भी जब बिहार में लालू यादव ने पीएम पर पर्सनल अटैक किया तो बीजेपी नेताओं ने तुरंत इस मौके को लपका और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने अकाउंट्स के बायो में ‘मोदी का परिवार’ लिखा.
हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह जानती हैं कि कंगना पर पर्सनल अटैक कंगना को ही फायदा पहुंचाएगा. इसलिए उन्होंने कंगना को हिमाचल की बेटी बताने से पहले उसमें ‘भी’ लगाया. इस भी के साथ उन्होंने ये भी बता दिया कि प्रतिभा भी हिमाचल की बेटी हैं. अब एक नजर डालते हैं उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ‘हरदा’ के बयान पर.
गुरुवार को उन्होंने कहा कि हर स्तर पर हमारा स्थान भाजपा ने ले लिया है. यह राष्ट्रीय स्तर या प्रांतीय स्तर की बात नहीं है, यहां तक कि गांव स्तर पर. जब तक हम उन्हें वहां से नहीं हटाएंगे, तब तक हम कैसे अपने इलाके के नेता बन पाएंगे? सियासत में कई बार गलती मान लेना भी हितकारी होता है. ये बात हरदा अच्छी तरह से जानते हैं.
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