रामनवमी के पावन दिवस के अवसर पर बुधवार को संस्कार भारती द्वारा दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित अपने कला केंद्र 'कला संकुल' में दो दिवसीय रंगोली कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षक रघुराज ने निरंतर अभ्यास के माध्यम से रंगोली कला प्रेमियों और शिक्षार्थियों को एक मंच पर लाने के प्रयास के तहत मार्गदर्शन किया। उन्होंने कला प्रेमियों को कला के माध्यम से विश्व पृथ्वी दिवस को 'भू अलंकरण दिवस' के रूप में अपने मनाने का आह्वान किया है।
उल्लेखनीय है देश के प्रत्येक प्रांत में प्रत्येक उत्सव या मांगलिक कार्यक्रम में विभिन्न माध्यमों से धरती का श्रृंगार किया जाता है। श्रृंगार के इस स्वरूप को भूमि अलंकरण कहा जाता है। हरियाणा में इसे चित्तन, राजस्थान में मांडना, उत्तराखंड में एप्पन, बंगाल में अल्पना, तमिलनाडु में कोलम, उड़ीसा में झोटी, केरल में पुगडुम, और महाराष्ट्र में रंगोली के नाम से पुकारा जाता है।
संस्कार भारती केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर पूरे देश भर में विश्व पृथ्वी दिवस को 'भू अलंकरण दिवस' के रूप में मनाया जाता है। भू-अलंकरण अर्थात धरती मां का श्रृंगार एवं कला क्षेत्र की संस्था होने के नाते धरती माता के प्रति अपनी श्रद्धा एवं सम्मान को इसी प्रकार अभिव्यक्त करती है।
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