क्राईम ब्रांच पुलिस ने मंगलवार को धोखाधड़ी कर फर्जी शस्त्र लाइसेन्स बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सेना के रिटायर सूबेदार को गिरफ्तार किया है।
एडीसीपी सच्चिदाननद ने बताया कि प्रमेन्द्र ने बताया कि वह बी.ए.पास है तथा आर्मी के सेना पुलिस में नायब सूबेदार पद से रिटायर है। आर्मी में नौकरी के दौरान वर्ष 2012-2013 में जब उसकी पोस्टिंग मॉल कैम्प हिमाचल प्रदेश में थी, तो उसी दौरान वहां पर आर्मी वालों का शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए जम्मू-कश्मीर से 3-4 एजेन्ट आते रहते थे। प्रमेन्द्र को भी शस्त्र लाइसेन्स बनवाना था। उन एजेन्टों में से एक एजेन्ट जिसका नाम अमित मुतरेजा उर्फ अनिकेत अवस्थी उर्फ अनिरूद्ध शास्त्री निवासी जयपुर राजस्थान व कृष्ण कुमार सोनी नामक व्यक्ति जो शस्त्र लाइसेंस बनवाने का काम करते थे।
उन्होंने प्रमेन्द्र को कहा कि जम्मू एण्ड कश्मीर में हमारी जान पहचान है, तुम्हें थोड़े से पैसे खर्च करने पड़ेंगे हम ही तुम्हारा शस्त्र लाइसेंस बनवाकर दे देंगे। प्रमेन्द्र ने चक्कर काटने से बचने के लिये अमित मुतरेजा उपरोक्त को 15 हजार रूपये और अपना पहचान पत्र व अन्य कागज दिये थे तो अमित मुतरेजा ने जम्मू एण्ड कश्मीर के किश्तवाड़ जनपद से प्रमेन्द्र का शस्त्र लाइसेंस बनवा दिया था।
कहा कि मेरी जम्मू-कश्मीर मे शस्त्र लाइसेन्स बनाने वालों से अच्छी बात है, तुम्हारा कोई भी जानकार हो जो आर्मी की नौकरी न करता हो तो भी मैं उसका शस्त्र लाइसेंस बनवा दूंगा, लेकिन उसमें खर्चा ज्यादा आयेगा और उसमें प्रमेन्द्र को कमीशन भी देगा। अमित की यह बात सुनकर प्रमेन्द्र के मन में लालच आ गया, उसके बाद प्रमेन्द्र ने गाजियाबाद व नोएडा के अपने जानने वाले कुछ लोगों से सम्पर्क करके अमित मुतरेजा के साथ मिलकर शस्त्र लाईसेन्स बनवाने के लिए उन लोगों के पहचान पत्र, अन्य कागजात व रूपये लेकर उनके कागजों में कुछ और फर्जी कागजात लगाकर जम्मू कश्मीर के जनपद किश्तवाड़ व कुपवाड़ा में जिलाधिकारी कार्यालय के शस्त्र विभाग में कुछ अधिकारी कर्मचारियों के साथ सेटिंग से उनके फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवा दिये थे तथा कुछ लोगों के कागजों की छायाप्रति प्रमेन्द्र ने अपने पास रखी थी।
पिस्टल का लाइसेंस बनवाने के लिए प्रमेन्द्र उन लोगों से 80 हजार प्रति लाइसेन्स व रायफल के लाइसेंस के 90 हजार रूपये प्रति लाइसेंस लिये थे। पूरी प्रक्रिया समझने व देखने के बाद प्रमेन्द्र लगा कि जम्मू कश्मीर से शस्त्र लाइसेन्स बनाना बहुत आसान है तो उसने वहां के शस्त्र कार्यालय मे सेटिंग से कुछ सादी शस्त्र लाईसेन्स की किताबें निकलवा ली थी। बाद में उसने उन सादा शस्त्र लाइसेन्स की किताबों को अपने शस्त्र लाइसेंस के जैसा तैयार कर उनमें अपने लाइसेन्स के यूनीक नम्बर में हेरा फेरी करके फर्जी बनवायी गयी। स्टॉम्प लगाकर तैयार कर फर्जी शस्त्र लाइसेन्स बना दिये और जिसका लाइसेंस होता उसे शस्त्र दिलवाने के लिए प्रमेन्द्र स्वंय आर्मी की वर्दी पहनकर फर्जी शस्त्र लाइसेंस लेकर गन हाऊस पर जाकर शस्त्र पिस्टल, रायफल, रिवाल्वर, बन्दूक दिलवा देता था प्रमेन्द्र ने उन लोगों को फर्जी लाईसेन्स पर शस्त्र मेरठ, बुलन्दशहर व नोएडा स्थित गन हाउस से खरीदवाये थे, जिन लोगों को प्रमेन्द्र ने फर्जी शस्त्र लाईसेन्स दिये थे। उनको यह जानकारी नहीं थी कि उनके शस्त्र लाइसेसं फर्जी है।
प्रमेन्द्र के वर्दी में होने के कारण गन हाउस वालों को भी उसके ऊपर शक नहीं होता था। प्रमेन्द्र व अमित मुतरेजा उपरोक्त का पैसों के लेन देन को लेकर झगड़ा होने पर आपस में मुकदमे बाजी हो गयी, जिसमें पुलिस प्रमेन्द्र के घर उसे पकड़ने के लिये जाती थी, इसीलिए उसने डर के मारे सारे शस्त्र लाइसेन्स नष्ट कर दिये थे और असलहे छिपा दिये थे। उसके बाद प्रमेन्द्र जेल चला गया। जेल से आने के बाद सभी लाइसेन्सधारी बार-बार प्रमेन्द्र से अपने शस्त्र लाइसेन्सों को रिन्यूवल कराने व शस्त्र वापस देने के लिये कह रहे थे, तो प्रमेन्द्र इस प्रयास में था कि किसी तरह फर्जी तरीके से पुनः शस्त्र लाइसेन्स बनाकर व उस पर स्टॉम्प आदि लगाकर उन्हें वापस कर दें। अब चुनाव का माहौल चल रहा है तो प्रमेन्द्र को डर था कि कहीं पुलिस को यह सब पता न चल जाये और उसके घर छापा न मार दे, इसलिये वह इसे जल्दी बनाकर वापस देने के प्रयास में था।
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