अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जर्मनी और अमेरिका के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी टिप्पणी की है. हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इसका करारा जवाब दिया गया है.
उस पत्रकार का नाम मुश्फिकुल फजल अंसारे है. अंसारे बांग्लादेशी नागरिक है और अमेरिका के वाशिंगटन में रहता है. यह जानना जरूरी है कि एक बांग्लादेशी पत्रकार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबर को उठाने में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
अमेरिका से क्या पूछा था सवाल?
उसने सवाल पूछा था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार 'भारत में लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष पर कार्रवाई तेज हो गई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के संबंध में टिप्पणियों पर भारत द्वारा अमेरिकी राजनयिक को तलब करने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, और आप विपक्षी पार्टी के बैंक खाते की हेराफेरी पर भारत में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल को कैसे देखते हैं?'
सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, 'हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी सहित इन कार्रवाईयों पर बारीकी से नज़र रखना जारी रखेंगे. हम कांग्रेस पार्टी के आरोपों से भी अवगत हैं कि कर अधिकारियों ने उनके कुछ बैंक खातों को इस तरह से फ्रीज कर दिया है जिससे आगामी चुनावों में प्रभावी ढंग से प्रचार करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा, और हम इनमें से प्रत्येक समस्या के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाओं की मांग करते हैं. हमें नहीं लगता कि किसी को इस पर आपत्ति होनी चाहिए.'
UN में महासचिव के प्रवक्ता से पूछा यही सवाल
मुश्फिकुल फज़ल ने 28 मार्च को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान वीडियो लिंक के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता से भी यही सवाल पूछा था. इस पर प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने जवाब दिया था कि हमें उम्मीद है कि 'भारत में वैसा ही होगा, जैसा कि चुनाव वाले किसी भी देश में होता है. राजनीतिक और नागरिक अधिकारों सहित सभी के अधिकार सुरक्षित होते हैं और हर कोई ऐसे माहौल में स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान करने में सक्षम होता है.'
कौन हैं मुश्फिकुल फज़ल
मुश्फिकुल फज़ल (अंसारे) के फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वह साउथ एशिया पर्सपेक्टिव्स का कार्यकारी संपादक, राइट टू फ्रीडम का कार्यकारी निदेशक, जस्ट न्यूज बीडी के लिए व्हाइट हाउस संवाददाता है. मुश्फिकुल अपनी साख का उपयोग कर कई बार अमेरिका को भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित कर चुका है. इसके साथ ही इस बात का भी दावा किया जाता रहा है कि जमात-ए-इस्लामी और बीएनपी मुश्फिकुल फजल अंसारे के संगठन राइट टू फ्रीडम को फंड देते हैं. इसके साथ ही अपने विदेश दौरे के दौरान राहुल गांधी भी अंसारे से मिल चुके हैं.
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