भारत ने शनिवार को कहा कि नौकरी के अवसर पाने के लालच में कंबोडिया गए अपने नागरिकों की शिकायतों पर वह तुरंत जवाब दे रहा है और उसने अब तक लगभग 250 भारतीयों को मुसीबत से बचाया है और वापस लाया है।
यह प्रतिक्रिया उन रिपोर्टों के बाद आई है, जिनमें कहा गया है कि देश में हजारों भारतीयों को उनकी इच्छा के विरुद्ध हिरासत में रखा गया है और उन्हें साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक बयान में कहा, "कंबोडिया में हमारा दूतावास उन भारतीय नागरिकों की शिकायतों पर तुरंत जवाब दे रहा है, जिन्हें उस देश में रोजगार के अवसरों का लालच दिया गया था, लेकिन उन्हें अवैध साइबर काम करने के लिए मजबूर किया गया था।"
उन्होंने कहा, "कंबोडियाई अधिकारियों के साथ मिलकर इसने लगभग 250 भारतीयों को मुसीबत से बचाया और वापस लाया है, जिनमें से पिछले तीन महीनों में 75 लोग वापस आ गए हैं।"
प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रालय और कंबोडिया में भारतीय दूतावास द्वारा भारतीय नागरिकों को ऐसे घोटालों के बारे में कई सलाह भी जारी की गई हैं।
यह कहते हुए कि भारत कंबोडिया में समर्थन चाहने वाले अपने सभी नागरिकों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है, जयसवाल ने कहा : "हम इन धोखाधड़ी योजनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों पर नकेल कसने के लिए कंबोडियाई अधिकारियों और भारत में एजेंसियों के साथ भी काम कर रहे हैं।"
कथित तौर पर यह मामला पिछले साल दिसंबर में सामने आया था, जब ओडिशा पुलिस ने राउकरला में एक साइबर-अपराध सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब भारत ने उन एजेंटों और बेईमान तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है, जिन्होंने धोखे से अपने नागरिकों को सुरक्षा गार्ड की नौकरी दिलाने के बहाने रूस भेजा था।
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