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रविवार, 3 मार्च 2024

बीजेपी ने राजस्थान में पांच दिग्गजों को किया किनारे, टिकट न देने के पीछे यह रही वजह

 

गामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में राजस्थान की 15 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया. बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट में राजस्थान के पांच बड़े नाम गायब रहे. यानी पांच नेताओं का टिकट काट दिया गया है.

जिन पांच नेताओं का टिकट कटा है उसमें राहुल कास्वां, मानशंकर निनामा, अर्जुन लाल मीणा, बहादुर सिंह कोली का नाम शामिल है. इसके अलावा नागौर सीट से ज्योति मिर्धा को टिकट दिया गया है. यह सीट 2019 में गठबंधन के तहत आरएलसपी के हनुमान बेनीवाल जीते थे. मतलब इस बार इस सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी.

नागौर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर मिर्धा परिवार का दबदबा माना जाता है. बताया जा रहा है कि मिर्धा परिवार नागौर लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीणों आंचल के किसान मिर्धा परिवार को ज्यादा पसंद करते हैं. नागौर की लोकसभा सीट लंबे समय से मिर्धा परिवार के कब्जे में रही. मिर्धा परिवार से नाथूराम मिर्धा, रामनिवास मिर्धा , भानूप्रकाश मिर्धा के साथ ज्योति मिर्धा भी लोकसभा चुनाव जीत चुकी है. इस तरह से करीब चार दशक तक इस नागौर लोकसभा सीट पर मिर्धा परिवार का कब्जा रहा.

नागौर में बीजेपी की नजर जाट वोटरों पर

नागौर में जाट समुदाय की बड़ी आबादी है. आजादी के बाद से ही नागौर सीट पर मिर्धा परिवार की पकड़ रही है. जाट समुदाय के वोटर्स में मिर्धा परिवार का बहुत सम्मान है. माना जा रहा है कि ज्योति मिर्धा को पार्टी में शामिल कर बीजेपी ने कांग्रेस और आरएलपी के जाट वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है. ज्योति मिर्धा मारवाड़ के ताकतवर सियासी परिवार से संबंध रखती हैं. वह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्व नाथूराम मिर्धा की पोती है. किसी समय नाथूराम मिर्धा प्रदेश के जाट समाज व किसानों के बड़े नेता थे. उनकी जाट वोटर्स और किसान वोटर्स में मजबूत पकड़ रही है.

जालौर में भाषा शैली को लेकर विवादों में रहे देवजी पटेल

जालौर सिरोही में वर्तमान सांसद देवजी पटेल का पिछले लोकसभा चुनाव में भारी विरोध हुआ था लेकिन पीएम मोदी के नाम पर वोट मिल गया और जीत भी गए. इस बार वर्तमान सांसद देवजी पटेल को सांचौर विधानसभा का टिकट दिया था, जिसमे में भरी विरोध झेलना पड़ा था और अपनी जमानत जब्त करवानी पड़ी. ऐसे में लोगों का वर्तमान सांसद देवजी पटेल से भरोसा उठ गया है दूसरी यह बात की तीन बार सांसद रहे. अपनी भाषा शैली से हमेशा विवादों में घिरे रहे हैं.

एक तरफ अधिकारी नाराज तो दूसरी तरफ वोटर नाराज हो गए. ऐसे में पिछली बार भी जनता की ओर से नए चेहरे की मांग की गई थी. सांसद कभी गांवों में नहीं गए. कहा जाता है कि कुछ गांव तो ऐसे हैं जहां जीत दर्ज करने के बाद भी सांसद आज तक नहीं पहुंचे. जिसकी वजह से लोगों के भीतर नाराजगी भी दिख रही थी. वैसे तो लुभा राम चौधरी पूर्व उप जिला प्रमुख भी रहे हैं दो बार प्रधान भी रहे हैं. बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रहे हैं. अनुभव की बात करे तो लंबे समय से पार्टी के द्वारा दिए गए पदों पर रहे हैं.

भरतपुर सीट पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने लगाया था वीटो

भरतपुर से भी सांसद रंजीता कोली का टिकट काटकर पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली को प्रत्याशी बनाया गया है. रामस्वरूप कोली भरतपुर के भुसावर कस्बे के रहने वाले हैं. सूत्रों के अनुसार रामस्वरूप कोली को टिकट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के वीटो से मिला है. जिले के अधिकांश विधायक कामा क्षेत्र की विधायक नौक्षम चौधरी के पक्ष में थे लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से रामस्वरूप कोली के 26 साल पुराने संबंध है.

साल 1998 में भजनलाल शर्मा जब युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष थे तब रामस्वरूप कोली उनकी टीम के हिस्सा थे जो कि आज तक बरकरार हैं. सांसद बनने के दौरान रामस्वरूप कोली ने शर्मा को संगठन में बढ़ावा देने के साथ भी दिया था. सूत्रों की मानें तो रामस्वरूप कोली को टिकट मिलने में आरएसएस के एक वरिष्ठ प्रचारक का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है. कोली संघ के पुराने कार्यकर्ता हैं और प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं.

रंजीता कोली की आ रही थी शिकायतें

वही बात की जाए वर्तमान सांसद रंजीता कोली की तो पिछले दिनों राजेंद्र राठौड़ जब भरतपुर आए थे तो कई नेताओं ने रंजीता कोली की उनसे शिकायत भी की थी. वहीं विधायक बहादुर सिंह कोली ने तो यहां तक कहा था कि अगर सांसद रंजीता कोली को टिकट देते हैं तो कम से कम 200 हेलमेट भी साथ में भेजना जिसे कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें लगा कर जा सके.

उनका मानना था कि रंजीता कोली को लेकर आमजन में जबरदस्त नाराजगी का माहौल है. वहीं पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान सांसद रंजीता कोली के सिक्योरिटी ने प्रदेश मंत्री गिरधारी तिवारी के साथ बदसलूकी भी की थी, उन्हें धक्का तक दे दिया था जिससे वह गिर गए थे. कार्यकर्ताओं ने इसका जमकर विरोध भी किया था. यहां तक की स्थिति आमने-सामने की हो गई थी और यह पूरा मामला उच्च स्तर पर प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व तक जा पहुंचा था.

चूरू में क्या राजेंद्र राठौड़ ने कर दिया खेला?

चूरू सीट से लगातार लोकसभा का चुनाव जीत रहे राहुल कस्वां का टिकट काटकर बीजेपी ने पैरा ओलंपिक और पदम श्री देवेंद्र झाझरिया को टिकट देकर चौंका दिया है. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में चूरू की तारानगर सीट से दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ की चौंकाने वाली हार के बाद राजेंद्र राठौड़ ने अपनी हार के लिए पार्टी के जयचंदो को दोषी माना था. राजेंद्र राठौड़ का सीधा इशारा राहुल कस्वां पर था और इसी वजह से राहुल कस्वां का टिकट काटा गया. बताया जा रहा है कि राजेंद्र राठौड़ की सिफारिश पर ही देवेंद्र झाझरिया को चूरू से टिकट मिला है.

उदयपुर में आदिवासी वोटरों पर नजर

उदयपुर से सांसद अर्जुन लाल मीणा का विरोध देखते हुए पार्टी ने ब्यूरोक्रेट मन्नालाल रावत को लोकसभा का टिकट देकर चौंका दिया है. बता दें की मन्नालाल रावत आदिवासी वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रखते हैं और जहां माना जा रहा था कि भाजपा इसी बेल्ट में कमजोर है. ऐसे में अब मन्नालाल रावत अब उदयपुर से लोकसभा का चुनाव लड़कर बीटीपी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे.

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