बीजनौर में विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट पारुल जैन ने एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के अपहरण एवं सामूहिक दुष्कर्म में चार को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 1,13,000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अर्थदंड की राशि में से 1,05,000 रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। इसके अलावा कोर्ट ने विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पीड़िता को तीन लाख रुपये दिए जाने की संस्तुति की है। उधर, दहेज हत्या मामले में पति, सास और ननद को सात-सात की सजा सुनाई गई।
शासकीय अधिवक्ता भालेंद्र सिंह राठौर के अनुसार, नूरपुर थाने क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज की कराई थी कि 21 जून 2022 को वह अपनी पत्नी का ऑपरेशन कराने बिजनौर गया था। घर पर उसका लड़का व 14 वर्षीय नाबालिग लड़की थी। शादाब निवासी आजमपुर उसके घर आया और उसकी लड़की को बहला फुसलाकर भाग ले गया। वह वापस लौटा तो मेहताब के घर गया, उसे कोई नहीं मिला। पीड़िता को तलाश किया, लेकिन वह नहीं मिली तो उसने रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट दर्ज होने पर पीड़िता को पुलिस ने बरामद किया।
उसने बताया कि उसके साथ शादाब ने दुष्कर्म किया था। उसके साथियों सैफ अली, फरमान, शानू व कासिफ ने मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया था। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर शादाब को लड़की के अपहरण व दुष्कर्म का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास व 35 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। जबकि फरमान, शानू, सैफ अली को सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं 78 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। कासिफ के विरुद्ध कोई साक्ष्य उपलब्ध न होने पर उसे बरी कर दिया।
दहेज हत्या में पति, सास, ननद को सात-सात साल की सजा
बिजनौर में अपर सत्र न्यायाधीश प्रकाश चंद शुक्ला ने दहेज उत्पीड़न, दहेज हत्या में दोषी पाते हुए मृतका के पति प्रवेश कुमार, सास नीलम व ननद पीयूष को सात-सात साल के कारावास एवं सात हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
शासकीय अधिवक्ता मुकेश चौहान के अनुसार, जिला सुल्तानपुर निवासी रमेश चंद्र ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसने अपनी पुत्री शिल्पी उर्फ हिमानी की शादी प्रवेश कुमार निवासी जयनगर कॉलोनी नजीबाबाद से 19 अप्रैल 2007 को की थी। शादी में पांच लाख रुपये नगद व दो लाख रुपये के जेवर दिए गए थे। प्रवेश की बहन पीयूष का अपने पति से तलाक का विवाद चल रहा था। वह लखनऊ में नर्सिंग का कोर्स कर रही थी। और अक्सर नजीबाबाद आती रहती थी। शादी के बाद से ही प्रवेश, उसकी मां नीलम व बहन पीयूष कम दहेज लाने के लेकर उसकी लड़की को प्रताड़ित करते थे और 10 लाख की मांग करते थे। कहते थे 10 लाख रुपये और नहीं दिए तो लड़की को जान से मार देंगे। वह उसकी लड़की को कभी उसके पास भी अपने मायके नहीं भेजते थे। प्रवेश रेलवे में टीटीई की नौकरी करता था। दो नवंबर 2007 को प्रवेश के पड़ोसी का फोन आया कि शिल्पी की हालत खराब है। इस पर वह लोग मेरठ गए।
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लड़की को दिल्ली ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि उसके पति प्रवेश कुमार, सास नीलम, ननद पीयूष का उनकी लड़की शिल्पी की दहेज हत्या में हाथ है। उनकी लड़की को जहर देकर मारा गया। कोर्ट ने इस मामले में प्रवेश कुमार, सास नीलम व ननद पीयूष को सजा सुनाई।
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