समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा और उसी दिन फैसला सुनाया जाएगा...जब संगठन में ही भेदभाव है, एक राष्ट्रीय महासचिव का हर बयान निजी हो जाता है...
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "...उनकी सरकार न तो केंद्र में है और न ही प्रदेश में है, कुछ देने की हैसियत में नहीं है. उन्होंने जो भी दिया है वह मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा. मेरे लिए पद नहीं विचार मायने रखता है... मेरे लिए विचार में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, देशवासियों, ग़रीबों, बेरोज़गारों के हितों पर जब भी कुठाराघात होगा मैं पलटवार करता रहूंगा. पहले भी करता रहा हूं.. आगे भी करता रहूंगा. अखिलेश यादव की कही हुई बात उन्हें मुबारक."
सपा पर लगाया भेदभाव का आरोप
सपा नेता ने आगे कहा, "आज जिस तरह से एससी और एसटी का आरक्षण ख़त्म किया जा रहा हैं, जातीय जनगणना के लिए सड़क पर निकलना चाहिए था. हम बंद कमरे में बैठे हैं. आज बेरोज़गारी बढ़ी है.. महंगाई बेहताशा बढ़ गई है... लोकतंत्र की हत्या हो रही है... संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं... देश को बेचा जा रहा है. इन सब मुद्दों को लेकर सड़क पर निकलने के लिए हमने अनुरोध किया था. आज तक वो बातें सुनी नहीं गई है. "
क्या होगा स्वामी प्रसाद मौर्य का अगला कदम
स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा में भेदभाव होने का आरोप लगाया और कहा कि "सपा के संगठन में भी भेदभाव है. एक महासचिव है जिसका बयान निजी हो जाता है और एक महासचिव है जिसका बयान पार्टी का हो जाता है. जब संगठन में ही भेदभाव हैं जो मैं भेदभाव के ख़िलाफ़ ही लड़ाई लड़ता हूं. तो ऐसे पद पर रहने का औचित्य क्या है. इसलिए सारा विवरण लिखते हुए मैंने अध्यक्ष जी को पत्र भेजा, उन्होंने बातचीत करना मुनासिब नहीं समझा. इसलिए अब मैं अपना कदम आगे बढ़ा रहा हूँ. 22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा, कार्यकर्ता ही आगे की राह तय करेंगे . जो निर्णय कार्यकर्ताओं का होगा वहीं निर्णय हमारा भी होगा. "
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