प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 'सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण' की पायलट परियोजना का उद्घाटन किया. बता दें कि इसे 11 राज्यों की 11 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्सों) में संचालित किया जा रहा है.
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा 'आज भारत मंडपम 'विकसित भारत' की अमृत यात्रा में एक और बड़ी उपलब्धि का साक्षी बन रहा है. सहकार से समृद्धि का जो संकल्प देश ने लिया है, उसे साकार करने की दिशा में आज हम और आगे बढ़ रहे हैं.' PM मोदी ने आगे कहा 'खेती और किसानी की नींव को मजबूत करने में सहकारिता की शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है, इस सोच के साथ हमने अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है. आज हमने अपने किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना शुरू की है.'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि खेती और किसानी की नींव को मजबूत करने में सहकारिता की शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है, इस सोच के साथ हमने अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है. आज हमने अपने किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना शुरू की है. हकारिता केवल व्यवस्था नहीं है, सहकारिता एक भावना है. सहकारिता की ये भावना कई बार व्यवसायों और संसाधानों की सीमाओं से परे आश्चर्यजनक परिणाम देती हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा सहकार, जीवनयापन से जुड़ी एक सामान्य व्यवस्था को बड़ी औद्योगिक क्षमता में बदल सकता है. ये देश की अर्थव्यवस्था, खासकर ग्रामीण और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था के कायाकल्प का एक प्रमाणिक तरीका है. आज देश में भी डेयरी और कृषि में सहकार से किसान जुड़े हैं, उनमें करोड़ों की संख्या में महिलाएं ही हैं. महिलाओं के इसी सामर्थ्य को देखते हुए सरकार ने भी सहकार से जुड़ी नीतियों में उन्हें प्राथमिकता दी है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि विकसित भारत के लिए भारत की कृषि व्यवस्थाओं का आधुनिकीकरण भी उतना ही जरूरी है. हम कृषि क्षेत्र में नई व्यवस्थाएं बनाने के साथ ही PACS जैसी सहकारी संस्थाओं को नई भूमिकाओं के लिए तैयार कर रहे हैं. हमारा देश में 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित करने का लक्ष्य था. और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज 8,000 एफपीओ पहले ही स्थापित हो चुके हैं. आज हमारे एफपीओ की सफलता की कहानियों की चर्चा देश की सीमाओं से परे भी हो रही है.
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश आजाद हुआ तब से देशभर के सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ता अनेक पार्टियों की सरकारों से मांग करते रहे कि सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना हो. क्योंकि सहकारिता क्षेत्र को समय के साथ साथ बदलना जरूरी है. इसे प्रासंगिक भी रखना होगा, इसे आधुनिक भी बनाना होगा और इसमें पारदर्शिता भी लानी होगी. लेकिन इस मांग को पूरा नहीं किया गया, जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने तब 70 साल पुरानी मांग को पूरा किया गया और सहकारिता मंत्रालय का स्थापना हुई.
एक टिप्पणी भेजें