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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

Mahashivratri 2024: इस साल क्या है महाशिवरात्रि का शुभ समय, जानें पूरी पूजा विधि


दिल्ली: हर साल की तरह इस साल भी हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व को मनाया जाने वाला है।मानता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए इस पर्व की मान्यता काफी ज्यादा है। महाशिवरात्रि के दिन भक्तजन भगवान शिव की बारात लेकर माता पार्वती से विवाह का योग बनते हैं और विधि विधान से शिव और गौरी की पूजा आराधना करते हैं। अगर आप भी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की सही तरीके से उपासना करेंगे तो आपको भी कई फलों की प्राप्ति होगी। ऐसे में शुभ मुहूर्त के साथ पूजा विधि के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।

क्या है तिथि का शुभ समय

वैसे तो सभी जानते हैं की पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को इस बार 8 मार्च के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाने वाला है। लेकिन किसी को समय का ज्ञान नहीं है। हम बता दे की 8 मार्च को संध्याकाल 9 बजकर 57 मिनट से महाशिवरात्रि की शुरुआत होगी और इसका समापन अगले दिन 9 मार्च को संध्याकाल 6 बजकर 17 मिनट पर होगा पूजा पाठ के अनुसार शुरुआती समय काफी जरूरी होता है, इसलिए महाशिवरात्रि का दिन इस साल 8 मार्च 2024 रखा गया है। 


क्या है शुभ पूजा मुहूर्त

  • महाशिवरात्रि के दिन पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो पूजा मुहूर्त की शुरुआत 8 मार्च को शाम 6 बजकर 25 मिनट से 9 बजकर 28 मिनट तक की रहेगी, इसके अलावा चार प्रहर का मुहूर्त इस प्रकार बताया गया है।
  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात 9 बजकर 28 मिनट तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय रात 9 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 30 मिनट तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 3 बजकर 34 मिनट तक
  • रात्रि चतुर्थी प्रहर पूजा समय प्रातः 3 बजकर 34 मिनट से प्रातः 6 बजकर 37 मिनट तक
व्रत पारण का समय सुबह 6 बजकर 37 मिनट 9 मार्च को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक

जानें क्या है महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  • महाशिवरात्रि के दिन प्रातः उठकर स्नान करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के आगे व्रत का संकल्प लें।
  • इसके अलावा आप व्रत किस तरह से रखेंगे यानी कि फलाहार या फिर निर्जला ये भी संकल्प लें।
  • फिर शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
  • सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं।
  • इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है।
  • तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
  • इसके बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।

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