हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर मतदान हो रहा है। विधानसभा परिसर में बनाए गए मतदान केंद्र में सभी विधायकों ने वोट डाल दिए हैं। मतगणना 5:00 बजे होगी। परिणाम सामने आने से पहले कांग्रेस की धड़कन तेज हो गई है।
हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक हैं जिसकी वजह से कांग्रेस अपनी जीत तय मान रही है। राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 35 विधायकों के वोट की जरूरत है। फिर भी विधानसभा में 25 विधायकों वाली भाजपा ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतार कर चुनावी जंग को रोचक बना दिया। कांग्रेस में विधायकों के तेवर को देखते हुए भाजपा को जीत की संभावना नजर आ रही है। उसी के चलते उन्होंने अपना उम्मीदवार उतारा है। इसके अलावा अभिषेक मनु सिंघवी को बाहरी बताकर आनंद शर्मा गुट नाराज बताया जा रहा है।
बीती रात कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों के साथ मुख्यमंत्री ने बैठक की। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी समेत प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल रहे। कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग की आशंका के चलते व्हीप भी जारी किया हुआ है, वहीं भाजपा ने चुनाव आयोग से व्हीप को लेकर चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज की है। भाजपा नेता जयराम ठाकुर ने कहा है कि यह विधायकों को डराने का काम है। कांग्रेस पार्टी कानूनी तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए व्हीप जारी नहीं कर सकती है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है।
मतदान के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जीत का दावा करते हुए कहा कि सभी विधायकों ने पार्टी की विचारधारा पर अपने मत का इस्तेमाल किया है।पार्टी पूरी तरह से एकजुट हैं और सभी कांग्रेस विधायक सरकार के साथ हैं। विपक्षी भाजपा पैसे की अंतरात्मा की बात कर रही है क्योंकि भाजपा की कोई अंतरात्मा नहीं है, पैसा ही उनकी अंतरात्मा है। अगर कोई पार्टी की सोच से हटकर वोट डालता है तो उसमें सौदेबाजी का अंदेशा होता है।
वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि सभी विधायक कांग्रेस पार्टी के पक्ष में वोट डालेंगे, हालांकि कुछ लोगों की नाराजगी जरूर हो सकती है लेकिन पार्टी विचारधारा से हटकर कोई भी विधायक वोट नहीं डालेगा। भाजपा ने जरूर उम्मीदवार देखकर सरकार को मुश्किल में डालने का प्रयास किया है लेकिन सरकार अपना बहुमत स्थापित करेगी और जो लोग नाराज हैं उसको लेकर सरकार को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है अभी भी सरकार के पास काफी समय बचा हुआ है सभी लोगों को साथ में लेकर चलना होगा।
दूसरी तरफ मतदान करने के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक अधिकार का पालन कर रही है। राज्यसभा चुनावों में पहले भी उम्मीदवार आमने सामने होते रहे हैं। हालात और परिस्थितियों को देखते हुए अपना उम्मीदवार उतारा है। पहले भी इस तरह की परिस्थितियों में चुनाव हुआ है। विधायक अपनी अंतरात्मा से वोट देंगे। कांग्रेस के पास बहुमत है जबकि भाजपा के पास कुछ कम आंकड़ा है लेकिन इस तरह का गणित बिगड़ते हुए देर नहीं लगती है।
कांग्रेस के नाराज विधायकों राजेन्द्र राणा और सुधीर शर्मा पर नजर
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दो वरिष्ठ विधायकों राजेन्द्र राणा और सुधीर शर्मा के रुख पर सभी की नजरें टिकी हैं। भाजपा उम्मीद लगाए बैठी है कि दोनों कांग्रेसी विधायक चुनाव में क्रॉस वोटिंग करेंगे। अगर ऐसा हुआ तो हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। दरअसल दोनों विधायक मंत्री न बनाये जाने पर प्रदेश की सुक्खू सरकार से नाराज चल रहे हैं। दोनों विधायकों सोशल मीडिया में प्रदेश सरकार की कार्यशैली को लेकर लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। राजेन्द्र राणा ने तो दिन पहले अपने विधानसभा हल्के सुजानपुर में समर्थकों को सम्बोधित करते हुए भाजपा में जाने की बात कर दी थी। दोनों विधायकों ने मीडिया में यह भी कहा है कि अब मंत्री बनाने का ऑफर मिलने पर वे इस पद को भी स्वीकार नहीं करेंगे। बता दें कि राजेन्द्र राणा ने 2017 के विस चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को हराकर सनसनी मचा दी थी। राजेन्द्र राणा पूर्व सीएम धूमल के मीडिया सलाहकार भी रह चुके हैं। उधर सुधीर शर्मा धर्मशाला से कांग्रेस के विधायक हैं और पूर्व वीरभद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। राजेन्द्र राणा और सुधीर शर्मा दिवंगत वीरभद्र सिंह के करीबियों में शामिल रहे हैं।
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