लाहौर. नई तकनीक का डंका बजाकर चीन दुनिया में अपने को सबसे बड़ा हथियार निर्माता और निर्यातक बनने का दावा ठोंकने में लगा है. चीन के इन नई तकनीक के नए हथियारों का अभी तक किसी भी जंग में इस्तेमाल नहीं हो सका है, क्योंकि वो खुद जंग में जाने से कतराता है लेकिन वो उन छोटे और गरीब देशों को अपने हथियारों को कम दम में बेचकर अपनी दुकान को चलाने में लगा है और उसका सबसे बड़ा ग्राहक कोई और नहीं बल्कि उसका ऑल वेदर फ्रेंड पाकिस्तान है.
चीन हर तरह के हथियार और उपकरण पाकिस्तान सेना के तीनों अंग थलसेना, वायुसेना और नौसेना को देकर मजबूती देने में जुटा है. अगर बड़े हथियारों और उपकरणों की बात करें तो थलसेना के लिए अल खालिद और VT-4 टैक, SH-15 TMG आर्टीलरी गन Z10 अटैक हेलिकॉप्टर, विंग लूंग 1D, विंग लूंग -॥, CH-4, एयर डिफेंस सिस्टम में LY-80, LY-80 EV, HQ-9P और रडार YLC-18 जैसे उपकरणों को पाकिस्तान एयरफोर्स के लिए JF-17, J-10 फाइटर और पाकिस्तान की नौसेना के लिए Type-054A/P जाहजों का इस्तेमाल कर रही है.
पाकिस्तानी थल सेना, वायुसेना और नौसेना सभी अंगों के ज्यादातर हथियार अब चीनी
2035 तक पाकिस्तान को पीएलए पैकेज के तहत हथियार मुहैया करा रहा है. जानकारो की माने तो चीन ने 2035 तक एक मुश्तराशि तय कर दी है, जिसके तहत पाकिस्तान उससे उतनी रकम को हथियार या सैन्य सहयोग की चीजें खरीद सकता है. अगर हम पाकिस्तान थलसेना की बात करें तो जमीन पर टैंक की लडाई में पाकिस्तान भारत के सामने कही नहीं टिकता तो अपनी इसी कमी को पूरा करने के लिए चीन की मदद से पाकिस्तान अल खालिद-1 टैंक बना रहा है. 90 के दशक में चीन और पाकिस्तान ने साझा तरीके से अल खालिद टैंक को विकसित किया था. पहले चरण में कुल 110 टैंक हैवि इंडस्ट्री टैक्सिला (HIT) में बना रहा है. हर साल 22 टैंक बनाने की प्लानिंग है साथ ही पाकिस्तान चीन से अल खालिद-2 के लिए 1500 HP डीजल इंजन भी लेने वाला है. इसके बाद पाकिस्तान की टैंक की ताकत में इजाफा जरूर हो जाएगा. कुल 220 अल खालिद-1 टैंक को लेकर डील हुई थी. यही नहीं चीन के एशिया पैसेफिक डिपार्टमेंट के चाईना नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन ने T-85 टैंकों के आधुनिकीकरण के लिए पाकिस्तान के सामने प्रस्ताव रखा है. कुल 90 टैंकों के आधुनिकीकरण पर बात चल रही है तो वही पाकिस्तान चीन से नए 360 मेन बैटल टैंक VT-4 खरीदे है. साल 2021 में आधिकारिक तौर पर इस टैंक के पहले बैच को पाकिस्तान की सेना में शामिल कर लिया गया है.
भारत को चुनौती देने के लिए पाकिस्तान अपनी आर्टेलरी कर रहा मजबूत
पाकिस्तान अपने तोप खाने में भी चीन की मदद से इजाफा कर रहा है. पाकिस्तान चीन से 155/52 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम भी खरीद कर रहा. चीन ने पाकिस्तान को 36 SH1 दे चुका है जबकि अन्य 36 तोपों को जल्दी पाकिस्तान खरीद सकता है. पाकिस्तान अपनी आर्टेलरी को इसलिए मजबूत कर रहा है कि उसे भारत को पहाड़ी इलाकों में चुनौती जो देनी है. बालाकोट में भारतीय वायुसेना के स्ट्राइक की डर ऐसा सताया कि वो चीन से एंटी एयरक्राफ्ट गन भी खरीदने के की फिराक में है. 12.7 mm की 750 एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन खरीदने जा रहा है. साथ ही पाकिस्तान तीन से इस गन की तकनीक भी लेगा जिसे ट्रांसफर ऑफ टैक्नॉलेजी कहते है China North Industries Corporation (NORINCO) से ले रहा है.
भारत के डर से चीन से खरीद रहा मिसाइल
साल 2017 में ही चीन एयर डिफेंस के लिए भी चीन 3 ESHORADS FM-90 सिस्टम लिए है. ये मिसाइल की मारक क्षमता 15 किलोमीटर है और इसका रडार 25 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी मिसाइल, एयरक्राफ़्ट को आसानी से पकड़ सकती है. पाकिस्तान ने हाल ही में QW-18 SAM यानी जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम लिया है ये सब भारत के हवाई ताकत के डर से चीन से खरीद रहा है. पाकिस्तान को कुल 1391 QW 18 SAM मिल चुके है इनमें से 100 सिस्टम चीन की पीएलए के पैकेज से बाहर है. पाकिस्तान को चीन ने नौ LY-80 LOMADS सिस्टम दिए है जो की 2019 में ही चीन ने पाकिस्तान को सौंप दिए है. साथ ही दो अलग करार पाक सेना ने किए है, जिसमें एयर डिफेंस सिस्टम के साथ IBIS -150 रडार सिस्टम शामिल है.
चीन से कौन सा महंगा हथियार खरीद रहा है पाकिस्तान
मिडियम टू लॉन्ग सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम FD-2000 लॉन्चर में 4 मिसाइल कंटेनर है, जिनके जरिए HQ-9 मिसाइल दागी जाती है. इसकी मारक क्षमता 7 किलोमीटर से 125 किलोमीटर तक है. सिस्टम इतना महंगा है जिसे पाकिस्तान चीन से ले रहा है जो की चीन के पीएलए पैकेज के तहत अगर वो खरीदता है तो वो 2035 तक के पीएलए पैकेज के तहत और कोई हथियार या सिस्टम नहीं खरीद पाएगा. यह बात चीन की तरफ से साफ कर दी गई है, लेकिन बावजूद इसके पाकिस्तान उसे इस पैकेज के बाहर से खरीद रहा है इससे यह साफ हो रहा है कि एयर डिफेंस के लिए चीन पाकिस्तान को मैन पोर्टेबल मिसाइल सिस्टम FN-16 भी देने की पेशकश कर चुका है, जिसमें कुल 1265 FN-16 मिसाइल है जिनमें 2 मिसाइल लाइव फायरिंग ट्रायल के लिए भी शामिल है. इस सिस्टम को MANPADS यानी मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम कहा जाता है.
Z-10 अटैक हैलिकॉप्टर
महंगे अटैक हैलिकॉप्टर खरीदने की कूबत पाकिस्तान की अब रही नहीं लिहाजा कम पैसे में अमेरिकी अपाचे की चीनी कॉपी Z-10ME अटैक हैलिकॉप्टर की खरीदने को मजबूर हो गया है. Z-10 वहीं चीनी अटैक हैलिकॉप्टर है, जिसे पाकिस्तान ने ट्रायल के बाद वापस चीन को लौटा दिया था क्योंकि उसकी परर्फामेंस से पाक फौज संतुष्ट नहीं थी. खासतौर पर हाई ऑलटेट्यूड इलाके में ऑप्रेशन के लिए वो हैलिकॉप्टर बना ही नहीं था. चीन जो Z-10 ME पाकिस्तान को बेच रहा है उसे पहले वाले वर्जन को अपडेट करने बनाया खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान चीन से 20 से ज्यादा Z-10ME अटैक हैलिकॉप्टर की खरीद कर रहा है डिलिवरी शुरू हो चुकी है.
चीन के CH-4 ड्रोन की तकनीक निचले दर्जे की
चीन दुनिया में खुद को तकनीक में नंबर वन बताकर अपने हथियारों को बेच रहा है, लेकिन जिस रफ्तार में ये बिक्री कर रहा है उससे तेजी से ये कबाड़ बनता जा रहा है. इसी कड़ी में चीन ने पाकिस्तान को CH-4 जिसे मल्टी रोल मीडिया ऑलटेट्यूड लॉन्ग इनड्यूरेंस यूएवी की कैटेगरी में शामिल है. पाकिस्तान को दी रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी CH-4 के दो वेरियंट CH-4A जो कि इंटेलिजेंस सर्वेलॉन्स के लिए और CH-4B जो कि अटैक आर्मड ड्रोन है उसका करार किया था, जिनकी सप्लाई साल जनवरी 2021 से शुरू की जा चुकी है. पाकिस्तान इस तरह के 12 से 24 ड्रोन ले रहा है, लेकिन जिस बात का डर चीन के साथ सैन्य उपकरणों के साथ बनी रहती है उस डर को अब पाकिस्तान झेलना पड़ा है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी CH-4 ड्रोन के ढांचे में क्रैक आने लगे हैं और इस बात की जानकारी पाकिस्तान की तरफ से चीन को दी गई है. यही नहीं चीन ने जो आर्मड ड्रोन के साथ AR-2 एयर टू ग्राउंड मिसाइल दी है वो तो ट्रायल के दौरान ही फुस्स हो गए, जिन्हें पाकिस्तान ने वापस चीन भेज दिया है. ये समस्या सिर्फ पाकिस्तान को दिए गए CH-4 ड्रोन के साथ नहीं बल्कि चीन ने जिस जिस देश को ये ड्रोन आधुनिक तकनीक के नाम पर बेचा वो सभी परेशान है. यहां तक की कई देश में तो इसके संचालन को ही बंद कर दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, साउदी अरब की वायुसेना ने 2014 में लॉन्ग रेंज, लॉन्ग इंड्यूरेंस CH-4 UAV खरीदे थे लेकिन सऊदी अरब ने बार-बार तकनीकी खराबी आने की वजह से इन्हें ऑपरेशन से बाहर कर दिया है. ये कोई पहली बार नहीं है कि CH-4 ड्रोन को तकनीकी खराब ये मेंटेनेन्स की कमी के चलते ग्राउंडेड किया गया है. कुछ साल पहले इराकी वायुसेना ने भी अपने 10 CH-4 ड्रोन की पूरी फ्लीट को मेंटेनेन्स और तकनीकी खराबी के चलते ग्राउंड करना पड़ा था. यही नहीं रिपोर्टस के मुताबिक, जॉर्डन एयरफोर्स ने तो इसी दिक्कतों के चलते अपने 6 CH-4 ड्रोन को सेल पर लगा दिया था. अल्जीरियाई वायुसेना के CH-4 तो 2013 में टेस्टिंग के दौरान ही क्रैश हो गया था दूसरा CH-4 2014 में लैंडिंग के दौरान कंट्रोल से बाहर होने के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुआ और तीसरा UACV भी इसी तरह से क्रैश हो गया था. बहरहाल चीन का दावा है कि CH सीरीज के 200 से ज्यादा ड्रोन को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेच चुका है चूंकि भारत ने हाल ही में अमेरिका से MQ-9 ड्रोन खरीद रहा है और चीन जिस CH-4 ड्रोन का इस्तेमाल करता है वो इसी अमेरीकी MQ-9 की कॉपी हैं.
रिवर्स इंजीनियरिंग का मास्टर चीन
रिवर्स इंजीनियरिंग का मास्टर चीन ने चोरी की तकनीक से हथियार बाना तो लेता है. नकल भी ठीक कर लेता है लेकिन उससे ठीक से काम नहीं ले सकता है. वजह है कि तकनीकी तौर पर वो हथियार सही नहीं बन पाते. ऐसे कई मामले सामने आए हैं और जो हाल ही में नया मामला आया वो है कॉमबेट ड्रोन वॉन्गलूंग 2 में सूत्रों के हवाले से खबर है कि पाकिस्तान चीनी हथियारों के चलते परेशान है. चीन से लिए गए विंग लूंग -2 कॉम्बेट ड्रोन तकनीकी खराबी के चलते उड़ने लायक नहीं ही नहीं है. पाकिस्तान ने चीन से तीन विंग लूंग कॉम्बेट ड्रोन लिए थे और तीनों ही इस वक्त गंभीर तकनीकी गड़बड़ी के शिकार हैं. दो ड्रोन तो ठीक करने का दावा किया जा रहा है लेकिन तीसरे ड्रोन के इंजन में गड़बड़ी और जीपीएस फ्लेयर सहित कई और खराबियां आ गई.
JF 17 का हाल भी बुरा है
चीन ने पाकिस्तान को अपनी हथियारों की मंडी के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर JF-17 फाइटर का निर्माण शुरू किया और उसके बाद न सिर्फ पाकिस्तान को बल्कि दुनिया के चार अन्य देशों जिनमें मलेशिया, अजरबैजान, म्यांमार और नाइजीरिया को बेच चुका है और उनमें अधिकतर मुस्लिम देश है. इसी कड़ी में अब इराक को भी JF-17 बेचने की डील को फाइनल कर चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक, इराक पाकिस्तान से 650 मिलियन डॉलर के 12 JF-17 थंडर ब्लॉक 3 एयरक्रफ्ट की खरीद कर रहा है. लगभग दो साल के लंबे मोलभाव के बाद आखिरकार पाकिस्तान इस डील तो क्रैक कर सका है. अगर पाकिस्तान में बन रहे इस फाइटर के कंटेंट पर नजर डालें तो तकरीबन 42 फीसदी कलपुर्ज़े चीनी है तो 58 फीसदी पाकिस्तान में ही तैयार किए गए है. सिंगल इंजन ये मल्टी रोल फाइटर एयरक्रफ्ट है जिसके जरिए इराक अपनी घटती वायुसेना के प्लेटफॉर्म को पूरा करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि क्या चीन पाकिस्तान के इस मिक्सचर से तैयार हुए इस थंडर में इतनी ताकत है ये म्यांमार को बेचे गए JF-17 की मौजूदा हालात को देखते ही साफ हो रहा है. पाकिस्तान के साझा उत्पाद JF-17 फाइटर भी इसी तरह के क्रैक के शिकार है. ये खबर तब सामने आई जब पाकिस्तान के म्यांमार को बेचे गए JF-17 एयरक्रफ्ट ग्राउंड कर दिए गए है. एक रिपोर्ट के मुताबिक तकनीकी खराबी और एयर फ्रेम में आए क्रैक के चलते सभी 11 JF-17 को हैंगर में खड़ा कर दिया है.
पाकिस्तानी नौसेना में भी चीनी वॉरशिप
स्ट्रेटेजिक कॉपरेटिव पार्टनरशिप के नाम पर चीन ने अपने ऑल वेदर फ्रेंड यानी की पाकिस्तान की नौसेना को भी धार देने में जुटा है. इसी कड़ी में चीन ने अपने सबसे ताकतवर युद्धपोत में से एक Type-054A/P युद्धपोत पाकिस्तान को शंघाई के हुडोंग झोंगहुआ (Hudong Zhonghua) शिपयार्ड में सौंप दिया गया. इस फ्रीगेट का नाम रखा गया है PNS तैमूर, चीन और पाकिस्तान के बीच चार Type-054A/P फ्रीगेट का सौदा हुआ था, जिसमें से PNS तैमूर दूसरा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 054A/P क्लास फ्रीगेट में HQ-16 मीडियम रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और एंटी सबमरीन मिसाइल भी तैनात की गई है. इसके अलावा पाकिस्तान की नौसेना ने 2009 -2013 के बीच 4 जैंग्वई-2 क्लास F-22 फ्रीगेट यानी की जंगी जहाज खरीद चुका है और दूसरे चरण के लिए 4 अतिरिक्त F-22 फ्रीगेट को ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलॉजी के तहत पाकिस्तान में बनाएगा. इसके अलावा पाकिस्तान के लिये चीन 8 सबमरीन चीन तैयार कर रहा है. प्रोजेक्ट S-26 के तहत पाकिस्तान ने चीन से 8 यूआन क्लास एयर इंडीपैंडेंट सबमरीन कारार किया है. इन 8 सबमरीन में से 4 चीन में और बाकी 4 कराची शिपयार्ड में ट्रांसफर ऑ टेक्नॉलॉजी के तहत तैयार हो रही है. सभी आठ सबमरीन 2028 तक पाकिस्तान को मिलने है. पाकिस्तान नेवी ने 2011-14 के बीच फास्ट अटैक क्राफ्ट ( मिसाइल ) चीन से खरीदे है. वहीं नौसेना के एयर डिफेंस के लिए भी चीन से FN-16 SHORADS जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी पाकिस्तान अपनी नौसेना के लिए चीन से खरीदने का प्लान बना रहा है.
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