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शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

क्या है पाकिस्तान की हीरामंडी का इतिहास? जिस पर संजय लीला भंसाली ला रहे हैं वेब सीरीज


 फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली की फिल्में उनका काम और उनकी लगन को बखूबी दर्शाती हैं. जिस फिल्म के साथ संजय लीला भंसाली का नाम जुड़ जाए, उस फिल्म को बड़ा और शानदार बनाने की जिम्मेदारी भी मेकर्स के साथ जुड़ जाती है.अपने प्रोजेक्ट पर बारीकी के साथ काम करना कोई भंसाली साहब से सीखे. फिर चाहे वो सितारों का पहनावा हो या फिर फिल्मों की शूटिंग के लिए तैयार किए गए बड़े-बड़े आलिशान सेट्स. इसी बीच फिल्ममेकर का अपकमिंग प्रोजेक्ट ‘हीरामंडी’ लगातार चर्चा में बना हुआ है.ऐतिहासिक और अनोखी कहानियां दिखाने के लिए मशहूर संजय लीला भंसाली की ‘हीरामंडी’ की बीते दिन एक झलक देखने को मिली. जिसके बाद ‘हीरामंडी’ की चर्चाएं काफी तेज हो गई हैं. ‘हीरामंडी’ ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की जाएगी. लेकिन इस सीरीज से पहले हम आपको बताना चाहते हैं पाकिस्तान की ‘हीरामंडी’ का वो इतिहास, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं और इसी की कहानी भंसाली साहब अपनी वेब सीरीज में लेकर आ रहे हैं.

क्या है ‘हीरामंडी’ का इतिहास?

पाकिस्तान के लाहौर में एक रेडलाइट एरिया है, जिसे ‘हीरामंडी’ के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं इस इलाके को शाही मोहल्ला भी कहा जाता है. मिली जानकारी के अनुसार सिख महाराज रणजीत सिंह ने अपने मंत्री हीरा सिंह डोगरा के नाम पर ‘हीरामंडी’ का नाम रखा था. मंत्री हीरा सिंह ने यहां अनाज मंडी की शुरुआत की थी. संजय लीला भंसाली से पहले करण जौहर भी अपनी फिल्म कलंक में इसका जिक्र कर चुके हैं.

‘हीरामंडी’ की तवायफें दुनियाभर में मशहूर हुआ करती थीं. हालांकि बंटवारे से पहले इस कोठे पर हुए प्यार, धोखा और राजनीति के किस्से आज भी काफी मशहूर हैं. ‘हीरामंडी’ में एक से बढ़कर एक खूबसूरत महिलाएं रहा करती थीं. यहां अफगानिस्तान से लेकर उज्बेकिस्तान तक की महिलाएं आकर रहा करती थीं. हालांकि वो दौरा ऐसा था कि तवायफ शब्द को गंदा नहीं माना जाता था और नाही इसे गंदी निगाहों से देखा जाता था.

मुगलकाल में ‘हीरामंडी’ में रहने वाली महिलाएं नृत्य, कला, संस्कृति और संगीत से काफी जुड़ी हुआ करती थीं और वह सिर्फ राजा-महाराजाओं के सामने ही अपनी कला का प्रदर्शन किया करती थीं. वक्त ने करवट बदली और मुगल के बाद ‘हीरामंडी’ पर विदेशियों ने राज करना शुरू किया. विदेशियों के राज में ‘हीरामंडी’ की चमक फीकी पड़नी शुरू हो गई. इन लोगों ने ‘हीरामंडी’ का मलतब ही बदलकर रख दिया और तो और विदेशियों ने वहां रहने वाली महिलाओं को वेश्या का नाम दे दिया.

कितना बदल गई ‘हीरामंडी’ ?

‘हीरामंडी’ अब पहले की तरह शाही मोहल्ला नहीं रहा है. इसकी चमक वक्त के साथ-साथ गायब हो गई है. अब दिन में ये आमा बाजार की तरह रोजाना लगता है. जहां लोग अपनी जरूरत की चीज़ें खरीदा करते हैं. लेकिन ढलती शाम के साथ-साथ यहां का नजारा पूरी तरह से बदला हुआ नजर आता है. ये एरिया रेड लाइट एरिया में बदल जाता है.

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