गुरुवार को पटना की सडकों पर बेरोजगार यूथ ने हल्ला बोला. पीयू गेट से लेकर कारगिल चौक तक ट्रेंड लाइब्रेरियन ने निकाला आक्रोश मार्च, आईसीटी इंस्ट्रक्टर के पीडि़त आउटसोर्स कर्मियों ने गर्दनीबाग धरना स्थल पर किया प्रदर्शन तो पारा मेडिकल के छात्रों ने काउंसिल गठन नहीं होने से जॉब के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता के लिए आवाज उठाया.
मामला एक : छह माह काम लिया, अब हटाने की बारी
शिक्षा विभाग के अंतर्गत आउटसोर्सिंग पर कार्यरत करीब सात हजार आईसीटी इंस्ट्रक्टर को 4 माह से नहीं मिली सैलरी, उतरे सड़क पर
- गर्दनीबाग धरना स्थल से विधान सभा घेराव के लिए निकले, पुलिस ने पहले ही रोक लिया
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क्या है पूरा मामला
. शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में बच्चों को कम्प्यूटर एजुकेशन में बतौर इंस्ट्रक्टर के लिए राज्य स्तर पर करीब सात हजार की संख्या में आईसीटी इंस्ट्रक्टर की बहाली की थी. ऐसे सभी पीडि़त लोगों को पहले से सैलरी का आश्वासन मिल रहा था. लेकिन उनके सब्र का बांध गुरूवार को टूट गया. विभिन्न जिलों से आए आउटसोर्स वाले पीडि़त स्टाफ ने बताया कि उनके साथ बहुत गलत किया गया. कांट्रैक्ट की जॉब है तो हो सकता है समय लगे. लेकिन विभाग की ओर से जब कोई ठोस बात नहीं हुई तो हम सभी परेशान है. इन सभी लोगों ने कहा कि आक्रोश इस बात को लेकर है कि छह माह से हमलोग ज्वाइंन किये है और चार माह का वेतन बकाया है.अब बिना वेतन के हटाये जाने की बात सामने आ रही है. हम सभी इसी बात को लेकर आंदोलनरत हैं.
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केस 2 : सड़क पर उतरे ट्रेंड लाइब्रेरियन
पटना यूनिवर्सिटी से कारगिल चौक तक निकाला आक्रोश मार्च, पीडि़त बोले, 14 साल से वैकेंसी का कर रहे इंतजार, उम्र भी निकलती जा रही
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क्या है पूरा मामला
बिहार में बीते 14 साल से लाइब्रेरियन की स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है. यह मामला इससे पहले भी कई बार उठ चुका है और सड़कों पर आंदोलन किया है इन सभी ने. सिर्फ यही नहीं, यह मामला विधान सभा मे भी उठ चुका है. लेकिन इंतजार की इंतहा हो गई है. 14 साल बाद भी वैकेंसी का कोई अता -पता नहीं है. चुनावी वर्ष में आचार संहिता और दूसरी बाधाओं को देखते हुए अब इस वर्ष भी नियुक्ति प्रक्रिया के कोई आसार नहीं है. जानकारी हो कि करीब दस हजार पद रिक्त हैं लाइब्रेरियन के. जबकि बिहार में पांच लाख लाइब्रेरी के स्टूडेंट हैं. पटना लाइब्रेरियन संघ के जिला अध्यक्ष हर्षित राज का कहना है कि एक लंबे अर्से से बहाली का कोई अता-पता ही नहीं है. लाइब्रेरी साइंस के पांच लाख स्टूडेंटस का यह मामला है. रिक्तियां पूरी नहीं होने से अकादमिक व्यवस्था में पठन -पाठन की मूल सामाग्री की सुविधा देने में बड़ी कमी है. यहां लाइब्रेरियन, डिप्टी लाइब्रेरियन और असिस्टेंट लाइब्रेरियन की सभी सीटें खाली है.
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केस 3. काउंसिल के गठन को लेकर विधान सभा घेराव
- पारा मेडिकल एसोसिएशन ऑफ बिहार के बैनर तले गुरूवार को छात्रों ने हेल्थ डिपार्टमेंट के एडीशनल सेक्रेटरी को दिया ज्ञापन
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क्या है पूरा मामला
बिहार में पारा मेडिकल के कई कोर्सेज की पढाई होती है. लेकिन समस्या इसके राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकरण की है. दरअसल, अन्य राज्यों में जहां मेडिकल काउंसिल और नर्सिंग काउंसिल की तर्ज पर पहले से पारा मेडिकल की काउंसिल भी गठित है. वहीं, बिहार में इसके गठन को लेकर बीते तीन-चार साल से काफी शोर होने के बाद भी सरकारी तंत्र इसे अनसुना कर रहा है. चूंकि बिहार में काउंसिल का गठन नहीं है तो बिहार के किसी भी पारा मेडिकल संस्थान से निकले छात्र को अपने राज्य से बाहर अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है. क्योंकि कांउसिल यहां है तो नियुक्ति देने वाला संस्थान उनकी डिग्री की वैधता और वर्तमान स्थिति का औपचारिक रूप से पता नहीं लगा पाती है. बिहार के पारा मेडिकल छात्रों ने कहा कि सरकार के सात निश्चय योजना के अंतर्गत यहां के सरकारी पारा मेडिकल संस्थानों में ट्यूटर, डेमोस्ट्रेटर, लेक्चर की नियुक्ति नहीं की गई है. जबकि लैब टेक्निशियन, ओटी असिस्टेंट समेत अन्य पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया लंबित है.
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